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शहीद हुए देशवासियों की स्मृति में मौन जुलूस निकालेगी भाजपा, होंगी गोष्ठियां: भूपेंद्र सिंह चौधरी

  • 14 अगस्त विभाजन विभीषिका दिवस पर
  • भारत के इतिहास में यह एक ऐसा दुर्भाग्यशाली दिन था जिस दिन भारत के भूगोल, समाज, संस्कृति सभी का बंटवारा हो गया है
  • नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की संख्या में जाने चली गई: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

    अथाह ब्यूरो
    लखनऊ।
    भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त भारतीय इतिहास का काला दिन था। नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की जान चली गई।
    भूपेंद्र सिंह चौधरी रविवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख को आंसुओ से लिखकर रक्त रंजित कर दी गई। देश का विभाजन हो गया। उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन की पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता है। यह दिन भारत के लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। हर भारतीय को इस दिन याद रखना चाहिए। हम भारतीयों को इस दिन को याद रखने की जरूरत है, क्योंकि हमारी लाखों बहनें और भाई विस्थापित हो गए थे और कई लोगों ने बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गंवा दी थी, उन्हें विभाजन के दौरान यातना-पूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था। विभाजन का दर्द और उस दौरान हुई हिंसा देश की स्मृति में आज भी गहराई से अंकित है।
    प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा 1857 के स्वातंत्र्य समर से धधकी राष्ट्रवाद की ज्वाला ने अग्रेजों को सिंहासन के नीचे दबे ज्वालामुखी को अहसास करा दिया था और यहीं से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति प्रारम्भ हुई। उन्होंने कहा 30 दिसम्बर 1906 को घोर साम्प्रदायिक संगठन मुस्लिम लीग का गठन हुआ। मुस्लिम लीग ने अपने जन्म से ही पृथकतावादी नीति को अपनाया तथा भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं का विरोध किया। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग की शर्तों को स्वीकार करने तथा शर्तों के आगे घुटने टेकने से मुस्लिम लीग का मनोबल लगातार बढ़ रहा था। जिससे भारत विभाजन की सम्भावनाए भी बढ़ रही थी।
    चौधरी ने कहा 1939 में मुस्लिम लीग ने देश में व्यापक दंगे करवाए। लाहौर में 1940 में मुस्लिम लीग का सम्मेलन हुआ जिसमें उन्होंने दो राष्ट्र के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। मुस्लिम लीग ने साफ तौर पर यह घोषणा कर दी कि वह अलग देश चाहते हैं। मुस्लिम लीग द्वारा डायरेक्ट एक्शन डे के तहत देश में दंगे और उन्माद फैलाया गया और देश में हत्या, लूट, आगजनी व दुराचार का दौर शुरू हो गया। उन्होंने कहा अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति कारगर साबित हुई और भारत का विभाजन हो गया। अखंड हिन्दुस्तान की खंडित स्वतंत्रता जब देश की दहलीज पर खड़ी थी उसी समय पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर प्रचंड नरसंहार चल रहा था।
    प्रदेश अध्यक्ष ने कहा लाहौर से, पठानकोट से और बंगाल से लाखों संपन्न परिवार शरणार्थी के रूप में इस खंडित भारत के अंदर धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे थे। उन्हें अपने प्राणों का भय था। जीवन भर कमाई और चल-अचल संपत्ति को पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में छोड़कर भागने की मर्मांतक पीड़ा थी। भारत में शरणार्थी बनने की विफलता थी। भूख, प्यास, थके हुए शरीर, बीवी-बच्चों के भीषण कष्ट इत्यादि सहन करने की त्रासदी थी, लेकिन उधर दिल्ली में राजनीति अपने गति से जारी थी। दिल्ली के मंदिर मार्ग पर हो रही सभा में बंगाल से आए न्यायमूर्ति निर्मल चन्द्र चटर्जी ने कहा था कि 3 जून को ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया गया विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार कर कांग्रेस ने न केवल बहुत बड़ी गलती की है वरन करोड़ों भारतीयों की पीठ में छुरा भी घोंपा है। भारत का विभाजन स्वीकार करने का अर्थ यह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की गुंडागर्दी के सामने पराजय स्वीकार कर ली।
    पूर्वी बंगाल की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ 90 लाख थी, जिनमें 30 प्रतिशत हिन्दू थे. इनमें 50 लाख हिन्दू पश्चिम बंगाल आ गए लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में लोगों की हत्याएं हुईं पूर्वी बंगाल में हिन्दुओं कों निर्धारित क्षेत्र में नजरबन्द कर के रखा गया और उनसे जजिया कर वसूला गया। 15 या 16 अगस्त 1947 की तारीख जब पंडित जवाहरलाल नेहरू लाहौर के डीएवी कॉलेज कैंप पहुंचे थे और वहां हजारों की संख्या में पीड़ित दुखी शरणार्थियों ने गुस्से में नेहरू वापस जाओ, गो बैक नेहरू के नारे लगाने शुरू किए, लोगों का गुस्सा देखकर पंडित नेहरू और बलदेव सिंह वापस चले गए।
    उन्होंने कहा पंडित नेहरू ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने के लिए न केवल देश के टुकड़े करवाए बल्कि लाखों लोगों के खून से भारत भूमि को नहला दिया। घृणा का जो बीज उस समय बोया गया उन्हें पूर्णतया नष्ट करने के लिए आने वाली कई पीढ़ियों को मिलकर प्रयास करना होगा। कांग्रेस द्वारा निरंतर मुस्लिम लीग को तुष्ट करने की अपनाई जाने वाली नीति को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने कभी पसंद नही किया। डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि यह समझ से परे है कि क्यों एक तरफ तो कांग्रेस मुस्लिम लीग की प्रत्येक अन्यायपूर्ण मांग को स्वीकार करने को तैयार है और दूसरी तरफ वंचित और शोषित वर्ग को उसके न्यायपूर्ण अधिकार देने के लिए भी तैयार नहीं है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक थॉट्स आॅन पाकिस्तान में नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस के रवैये की आलोचना की है।
    भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा देश के विभाजन के समय हिंसा, घृणा, अमानवीयता व क्रूरता से विस्थापित भाई, बहनों के संघर्ष व बलिदान की स्मृति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के संवेदनशील निर्णय पर प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन करता हूं। हमें विभाजन की विभीषिका को सदैव स्मृति में रखना है, जिससे विभाजन और इसके कारण हुई परिस्थितियां -जैसे तुष्टिकरण की राजनीति, विभाजनकारी ताकतों के विचारों को हावी होने देना और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाली सोच के साथ खड़ा होना, जैसी स्थितियां फिर कभी नहीं होनी चाहिए। विभाजन को एक सबक के रूप में लेना चाहिए ताकि भारत अतीत की गलतियों को न दोहराए और देश तुष्टीकरण का रास्ता न अपनाए, खासकर जब हमारे पड़ोस में अस्थिरता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हो। भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को देश के विभाजन के दौरान लाखों भाई-बहनों द्वारा झेली गई यातना और वेदना को याद दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में के रूप में मनाया जाएगा।
    उन्होंने कहा भारतीय जनता पार्टी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर 14 अगस्त को प्रदेश के सभी संगठनात्मक 98 जनपदों में देश की विभाजन में विस्थापित तथा शहीद हुए देशवासियों की स्मृति में मौन जुलूस निकालेगी। भारतीय जनता पार्टी सभी संगठनात्मक 98 जनपदों में विभाजन की विभीषिका विषय पर संगोष्ठियां आयोजित कर देश के विभाजन में हुई क्रूरता, अमानवीयता, नृशंस्ता और देश के विभाजन के कारणों पर चर्चा करेगी। पार्टी जिला स्तर पर आयोजित प्रदर्शनियों में देश के विभाजन की त्रासदी को चित्रों, अभिलेखों तथा चलचित्रों के माध्यम से नागरिकों के बीच प्रदर्शित करेगी।

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