Dainik Athah

जो सनातन धर्म छोड़कर गए हों, वे लौट आएं: मोरारी बापू

  • यात्रा के चौथे पड़ाव पर मल्लिकार्जुन में हुई राम कथा
  • भक्ति मार्ग में सबसे ज्यादा महत्व है पुकार का 

राज कौशिक
श्रीशैलम
। राम कथा वक्ता मोरारी बापू ने कहा कि भक्ति मार्ग में पुकार का बहुत अधिक महत्व है। हम और कोई साधन या उपाय भले ही ना कर पाएं लेकिन परमात्मा को पुकार तो सकते ही हैं। बापू ने कहा, व्यासपीठ की पुकार है कि जो लोग सनातन धर्म छोड़कर गए हो, वे लौट आएं। द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा के चौथे पड़ाव पर आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के सानिध्य में राम कथा करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के प्रसाद में पंजीरी बांटी जाती है। दादा गुरु ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा था कि पंजीरी का अर्थ 5 सूत्र हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला सूत्र है स्वीकार। अगर हम दूसरों को स्वीकार करना सीख जाएं तो बहुत से कष्टों से बच सकते हैं। स्वीकार करने की वृत्ति न होने के कारण ही संघर्ष पैदा होता है। हम दूसरों को स्वीकार करने के बजाय उन्हें सुधारने के प्रयासों में लग जाते हैं जो कि संभव नहीं है। दूसरा सूत्र है प्यार। सब से प्यार किया जाए, किसी से नफरत न की जाए। जोत से जोत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो। स्वामी शरणानंद का कहना था कि शिष्य गुरु को जो देता है वह प्यार है और गुरु जो शिष्य को देता है वह प्रेम है। प्यार थोड़ा लेनदेन वाला होता है लेकिन प्रेम में सिर्फ समर्पण होता है। खलील जिब्रान ने भी कहा है कि प्रेमी खुद को ही दे देता है। मोरारी बापू ने कहा कि तीसरा सूत्र है द्वार। हमें सब का द्वार बनना चाहिए। किसी के लिए दीवार नहीं बनानी चाहिए। नाथद्वारा, गुरुद्वारा, द्वारिका ये सब द्वार की ओर संकेत करते हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वालों को किसी की राह का रोड़ा नहीं बनना चाहिए। चौथा सूत्र है विचार। आपके पास जो भी शुभ विचार है, वह दूसरे को दे दो।

कल्याणकारी विचारों का आपस में आदान-प्रदान करो। विचार दान करो। भक्ति मार्ग का पांचवा और अति महत्वपूर्ण सूत्र है पुकार। हम परमात्मा को पुकारते रहें। जीसस ने भी कहा है कि दरवाजा खटखटाते रहो तो एक दिन जरूर खुलेगा। बापू ने कहा कि हम पुकारने के अलावा कर भी क्या सकते हैं। रुद्राष्टक भगवान महाकाल को परम साधु की पुकार है… नमामि शमीशान निर्वाण रूपम।मोरारी बापू ने कहा कि मन साफ हो तो फिल्मी गीत भी भजन बन जाते हैं। उन्हें लिखने वालों ने चाहे किसी भी भाव से लिखा हो लेकिन व्यास पीठ हर गीत को परमात्मा के चरणों में अर्पित करती है। “आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं” गाना गाते हुए बापू ने पुरजोर अपील की कि जो लोग सनातन धर्म छोड़कर किसी भी कारण से चले गए हों, वो वापस लौट आएं। मोरारी बापू की व्यासपीठ उन्हें वापस बुला रही है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को मोरारी बापू ने सामर्थ्य देने वाली भूमि बताया। महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए बापू ने कहा कि जब पांडवों को अपने सामर्थ्य पर गर्व हो गया तो व्यास ने उन्हें समझाया कि व्यक्ति का सामर्थ्य कुछ भी नहीं होता है। प्रत्येक सामर्थ्य के पीछे किसी की अदीत शक्ति होती है जो कमजोर नजर होने के कारण हमको दिखाई नहीं देती। बापू ने कहा कि तब व्यास के कहने पर अर्जुन ने महादेव की आराधना की और मलिकार्जुन आकर कठोर तपस्या की।उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध राम कथा वक्ता मोरारी बापू इन दिनों द्वादश ज्योतिर्लिंग राम कथा कर रहे हैं। इसका आरंभ उत्तराखंड के केदारनाथ से हुआ। दो विशेष ट्रेनों द्वारा मोरारी बापू और कथा श्रोता 12 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं। इंदौर निवासी रूपेश व्यास इस राम कथा यात्रा के मुख्य सूत्रदार हैं। शुक्रवार को यह राम कथा यात्रा रामेश्वरम पहुंचेगी।

 —————————————— राज कौशिक

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