Dainik Athah

बदलाव से ज्यादा महत्वपूर्ण 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना

  • जुलाई के अंतिम सप्ताह तक घोषित हो सकती हैं नये जिलाध्यक्षों की घोषणा
  • बड़ा बदलाव 2024 के मद्देनजर बन सकता है भाजपा के लिए परेशानी का सबब
  • हर कदम फूंक फूंक कर रख रही है भाजपा
  • कई जिलों में नहीं मिल रहे मजबूत अध्यक्ष

अशोक ओझा
लखनऊ।
भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। यह बदलाव संगठन की मजबूती के साथ ही लंबे समय से जिला व महानगर अध्यक्षों की कुर्सी पर जमे बैठे मठाधीशों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए है। इसके साथ ही नये, युवा एवं संगठन के प्रदेश नेतृत्व के पसंद वाले कार्यकर्ताओं को इस महत्वपूर्ण सीट पर बैठाना है। लेकिन यह बदलाव भी भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के लिए चुनौती बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के ऐसे अध्यक्ष बड़ी संख्या में है जो लगभग दो कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या ऐसे अध्यक्षों की भी है जिनकी नियुक्ति अथवा वे लोग किसी महत्वपूर्ण पद पर चुने जा चुके हैं। इनके स्थान पर बदलाव करना पार्टी के लिए आसान है। इसके पीछे यह दलील दी जा सकती है कि 2024 का चुनाव महत्वपूर्ण है इस कारण ये लोग 2024 के चुनाव के लिए पर्याप्त समय नहीं दे सकते। दो कार्यकाल पूर्ण करने वालों को भी हटाना आसान है। लेकिन जिनका एक ही कार्यकाल पूर्ण हुआ है वे टकटकी लगाये प्रदेश नेतृत्व की तरफ देख रहे हैं कि आखिर उनका क्या होगा।
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी के लिए अध्यक्ष बदलने से बड़ा काम 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में विजय का रथ दौड़ाना है। पार्टी का लक्ष्य प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना है। ऐसे में बदलाव करना पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है। हालांकि कुछ नेता यह दलील देते हैं कि भाजपा संगठन और कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। पार्टी जिसके सिर पर भी ताज रख देगी वह कार्यकर्ताओं के बल पर 2024 का चुनाव मजबूती से लड़ेगा, लेकिन इसके साथ ही प्रदेश नेतृत्व की चिंता यह भी है कि यदि पहले से 21 काम होता है तो उसकी वाहवाही होगी, यदि कहीं पर परिणाम पार्टी नेतृत्व की इच्छा के अनुरूप नहीं आये तो कहीं प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार बताकर ठीकरा उनके सिर पर न फोड़ दिया जाये।
यदि जिला व महानगर अध्यक्षों में प्रदेश नेतृत्व बड़ा बदलाव करता है और इसका असर लोकसभा के चुनाव परिणाम पर पड़ता है तो निश्चित ही ठीकरा प्रदेश नेतृत्व के सिर फोड़ा जायेगा इसमें कोई संशय नजर नहीं आता। भाजपा सूत्रों की मानें तो यहीं कारण है कि प्रदेश नेतृत्व यह तय नहीं कर पा रहा है कि कितना बड़ा बदलाव होगा। पूर्व में जहां बड़े बदलाव की बात कही जा रही थी, वहीं अब यह बदलाव 30 फीसद तक होता नजर आता है। हालांकि अध्यक्ष पदों के दावेदारों ने दिल्ली से लखनऊ तक जबरदस्त दौड़ लगाई हुई है। लेकिन इन दौड़ लगाने वालों में ऐसे भी लोग शामिल है जिन्हें संगठन के काम का अनुभव नहीं है। इसके साथ ही अनेक कार्यकर्ता ऊंचे रसूख के सहारे अपना बेड़ा पार करवाकर संगठन पर कब्जा करना चाहते हैं। अब देखना यह होगा कि नेतृत्व कितना बदलाव कर पाता है और कब तक।
भाजपा सूत्रों के अनुसार जिलों में जो पर्यवेक्षक गये थे उन्होंने जन प्रतिनिधियों के साथ ही पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व सौंप दी है। इसके आधार पर बदलाव 20 ज़ुलाई तक होना था। लेकिन अब यह 25 ज़ुलाई तक बताया जा रहा है, हालांकि उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि बदलाव जुलाई के अंतिम सप्ताह में ही होगा।


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