गाजियाबाद में क्या गुल खिला पाएगा सपा का एम वाई फैक्टर
मुख्य संवाददाता
गाजियाबाद। चुनाव कोई भी हो दल बदल का सिलसिला हर बार होता है। टिकट कटने का रिवाज भी पुराना है, गाजियाबाद में इसकी शुरुआत हो चुकी है। बीते शनिवार को समाजवादी पार्टी ने महापौर पद के लिए पी एन गर्ग की पत्नी नीलम गर्ग को प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन पांच दिन बाद ही सपा ने नीलम को साइकिल से उतार कर कभी बसपा के धुर अनुयायी रहे सिकंदर यादव की पत्नी पूनम यादव को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके पीछे शायद सपा हाई कमान की मंशा एम वाई( यादव मुस्लिम) के साथ अन्य वर्ग को साधना है। दरअसल सिकन्दर यादव का हर वर्ग मेंअपना अलग व्यवहार है। लेकिन बात जहां पार्टी की आती है तो समाजवादी पार्टी का गाजियाबाद में कोई खास प्रभाव नहीं रहा है।
नीलम गर्ग का टिकट कटने से न सिर्फ वैश्य समाज नाराज होगा बल्कि अन्य वर्गों में भी नकारात्मक संदेश जा सकता है। बसपा ने यदि गाजियाबाद से किसी मुस्लिम महिला को मैदान में उतार दिया तो मुस्लिम मतों का बिखराव लाजमी है। इन हालातों में सपा को जोर का झटका धीरे से लग सकता है। हालांकि गाजियाबाद में अब तक भाजपा के अलावा कोई दल मेयर की कुर्सी पर नहीं बैठ पाया। केवल मुलायम सिंह यादव के मुख्य मंत्रित्व काल में सपा से सुरेंद्र कुमार मुन्नी उपचुनाव में जीत सके उसके बाद यहां सपा का खाता नहीं खुला। इस लिहाज से प्रत्याशी पूनम यादव सपा की साइकिल को कितनी रफ्तार डें पाएंगी यह तो 13 मई को ही पता चलेगा। फिलहाल सपा ने प्रत्याशी बदलकर अपने पैरों खुद कुल्हाड़ी मार ली है।