Dainik Athah

महापुरूषों के जीवन का अनुसरण देश व समाज के लिए तरक्की का मार्ग: राकेश कुमार

  • प्रशासन ने हर्षोल्लास से मनाई डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती
  • सिंह बाबा साहब ने समाज को एक सूत्र में पिरोने  का किया कार्य-  बिपिन कुमारअम्बेडकर ने देश की भिन्न भिन्न जातियों को एक मंच पर लाने के लिए एक पुलिया का काम किया- गंभीर सिंह

अथाह सवांददाता
गाजियाबाद।
डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर जी एक जाने माने राजनेता व प्रख्यात विधिवेत्ता थे। जिन्होंने देश से छुआ छूत, जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आन्दोलन किये। उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन दबे कुचले शोषितो गरीबों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। खासकर दलित व पिछड़ी जाति के हक के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। बाबा साहेब वो शख्सियत थी जिन्हें आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु ने कैबिनेट में पहली बार लॉ मिनिस्टर बनाया था। अपने कर्तव्य, अच्छे काम व देश के हित के लिए अम्बेडकर जी को 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। आज समाज के उसी उद्धार कर्ता नारी के मुक्तिदाता दलित समाज के प्रणेता संविधान निर्माता डॉ बीआर अम्बेडकर की 132वीं जयंती का जश्न मनाने का सौभाग्य है।

अम्बेडकर जी के पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे, व उनकी पोस्टिंग इंदौर के पास महू में थी। यही अम्बेडकर जी का जन्म हुआ। 1894 में रिटायरमेंट के बाद उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया। कुछ दिनों के बाद उनकी माँ का देहावसान हो गया जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और बॉम्बे शिफ्ट हो गए। 1906 में 15 साल की उम्र में उनका विवाह अल्पायु की रमाबाई से हुआ था। छुआ छूत की उन्होंने जो तस्वीर देखी उसने उनके जीवन में संघर्ष की चिंगारी जलाई।अंबेडकर जयंती के अवसर पर कलेक्ट्रेट के महात्मा गांधी सभागार में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह व अपर जिलाधिकारी प्रशासन बिपिन कुमार, अपर जिलाधिकारी नगर गंभीर सिंह, नगर मजिस्ट्रेट शुभांगी शुक्ला, एसीएम चंद्रेश कुमार सिंह, एसीएम निखिल चक्रवर्ती, उप क्रीडा अधिकारी पूनम विश्नोई एवं अन्य अधिकारीगण कर्मचारियों ने बाबा साहब के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।

जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बाबा साहब की विचारों को साझा करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प सभी कर्मचारियों को दिलाया। इस दौरान उन्होंने बताया कि बाबा साहब का प्रारंभिक जीवन कितनी कठिनाइयों में बीतने के बावजूद इतने उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करना और उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद समाज सेवा के कार्यों में लगना अपने आप में अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि आज उनकी जयंती के दिन एक सबसे बड़ा संदेश हम लोगों के लिए यह है कि हमें उनके आदर्शों पर चलकर उनको सच्ची श्रद्धांजलि देनी है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक कठिनाइयां होने के बावजूद व तरह-तरह की स्थितियां होने के बावजूद हमें शिक्षा ग्रहण करना बहुत जरूरी है। शिक्षा केवल धन उपार्जन का साधन नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षा ज्ञान अर्जन और जनसेवा का साधन होना चाहिए। जब हम बाबा साहब के बारे में पढ़ते हैं तो पता चलता है कि उन्होंने 16 डिग्रियां अपने पूरे जीवन काल में प्राप्त की थी जिसमें उन्होंने विदेश में पढ़ाई की थी। साथ ही जो उन्होंने भारतीय समाज से जाना समझा और सीखा था उसका जो प्रतिध्वनी है, वह हमारे संविधान में प्रस्फुटित हुई। आज नीति निदेशक सिद्धांतों को अगर पढ़ें तो उसमें देखे कि उन्होंने स्टेट के लिए क्या-क्या चीजें ड्राफ्ट की हैं। किस तरह की सामाजिक आर्थिक और न्याय की बात की, उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की बात की, परस्पर भाईचारे की बात की, उन्होंने व्यक्ति की गरिमा बढ़ाने की बात की, उन्होंने बंधुता बढ़ाने की बात की और अगर आप देखे तो उन्होंने राज्य को इस तरह की इकाई के रूप में बताया कि उत्पादन और वितरण के साधनों पर सभी का नियंत्रण हो।

राज्य इस तरह से व्यवस्था करें कि जो उत्पादन और वितरण की कम्युनिकेशन है, उसका लाभ सभी तक पहुंचे। यह एक बहुत बड़ी बात है, इसी तरीके से सभी को चेंज नीतियों से यात्रा की, जैसी अनिवार्य शिक्षा की बात है। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज हम लोगों के सामने स्कूल में यह सुनिश्चित करना है, कि हर बच्चे का नॉमिनेशन हो, अगर हम आज डॉ0 अंबेडकर जी की जयंती मना रहे हैं तो हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से छूटना नहीं चाहिए, यह सबसे बड़ी शिक्षा होगी चाहे फिर वह उसके प्रारंभिक जीवन में कितनी भी बड़ी समस्याएं क्यों न हो। सबसे बड़ी बात कि प्राथमिक शिक्षा में कोई भी बच्चा ऑनरोल होने से न रह पाए। जिलाधिकारी ने कहा कि महापुरूषों के जीवन का अनुसरण करते हुए व्यक्ति को उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलकर देश, प्रदेश की तरक्की, खुशहाली के लिए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन बिपिन कुमार ने कहा कि बाबा साहब की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हम उनके बताए गए विचारों पर चलें। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने समाज को एक समान जोड़ने का कार्य किया है। भारतीय संविधान बनाने में बाबा साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि उनका विचार था कि समाज में समता होनी चाहिए। सभी को बराबर का समान, अधिकार एवं न्याय मिलना चाहिए। डॉ0 आंबेडकर जी का पूरा जीवन संघर्ष, सत्यनिष्ठा, लगन व वंचित वर्ग के प्रति करुणा का प्रतीक है। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन मे अनेक बाधाओं व कष्टों को सहा किंतु कभी भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अश्पृश्यता व भेदभाव का कड़ा विरोध किया। अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने बाबा साहब के जन्म दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि बाबा साहब के बताए गए रास्तों पर चल कर देश को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि जो अपने सुखसाधनों को छोड़कर देश का हित करें, ऐसे महान व्यक्तियों को नमन करते हैं। देश बदलना है तो शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है। बाबा साहब ने समाज में परिवर्तन लाने के लिए अनोखा कार्य किया है। समाज के सभी वर्ग एक ही पंक्ति में खड़े हो सकें, ऐसे उनके विचार थे। संविधान निर्माण में उन्होंने सभी धर्म, वर्ग, जाति को एक समान करने का विशेष ध्यान रखा। नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी है कि सभी कार्यों का समय से निर्वाहन करें।

डॉ0 बी0आर0 अम्बेडकर जयंती पर बाबा साहेब के जीवन वृत पर प्रकाश डालते हुए अपर जिलाधिकारी नगर गंभीर सिंह ने कहा कि अम्बेडकर जी ने अपने जीवन में इतने उतार चढ़ाव देखे, ऐसा वक्त देखा जब समाज में कुरीतियां व्याप्त थी जिसने समाज को बुरी तरह झकझोर रखा था तब उन्होंने ठान लिया था कि देश से न सिर्फ जातिवाद की खाई पाटनी है बल्कि दलितों के उत्थान के लिए समाज में उन्हें उनका हक दिलाना है। उन्होंने अपने बलबूते पर उच्च शिक्षा ग्रहण की। वे आजाद भारत के पहले लॉ मंत्री बने, दलित होने के बावजूद उनका मंत्री बनना उनके लिए बहुत बड़ी उपाधि थी। अपर जिलाधिकारी नगर ने कहा कि डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी को संविधान गठन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया। उनको स्कॉलर व प्रख्यात विदिबेत्ता भी कहा गया। अम्बेडकर जी ने देश की भिन्न भिन्न जातियों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए एक पुलिया का काम किया। वे सबके सामान अधिकार की बात पर जोर देते थे। अम्बेडकर जी के अनुसार अगर देश की अलग अलग जाति एक दुसरे से अपनी लड़ाई ख़त्म नहीं करेंगी, तो देश एकजुट कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर जी के अविश्वसनीय कामों की वजह से उनके जन्म दिन 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के नाम से मनाना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना है।

एसीएम चंद्रेश कुमार सिंह ने कहा कि देश के निर्माण में बाबा साहब डॉ0 भीमराव अंबेडकर जी का बहुत बडा योगदान है। उन्होने कहा कि नारी शक्ति, शिक्षा, मताधिकार सहित आदि अधिकार दिलाने में उनका योगदान हैं। भारत एक विविधता भरा देश है और तत्कालीन समय मे यह अनेक विषमताओं से जूझ रहा था। ऐसी परिस्थिति में इन विविधताओं को स्वीकारते हुए अखंड राष्ट्र का निर्माण बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन डॉ0 आंबेडकर जी के नेतृत्व में प्रारूप समिति ने न सिर्फ इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया बल्कि एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो “विविधता में एकता“ जैसे भारतीय मूल्य का साकार रूप था। भारत को एक राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में संविधान निर्माणकर्ता बाबा साहब की अतुलनीय भूमिका है।

एसीएम निखिल चक्रवर्ती ने बाबा साहब के जन्म दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि संविधान में समाज के हर वर्ग, जाति को बराबर का दर्जा दिया गया है। जिस व्यक्ति को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है उसे समय से निभाए। बाबा साहब चाहते थे कि गरीब व्यक्तियों को किसी प्रकार की समस्या न होने पाए। डॉ0 भीमराव अंबेडकर साहब की इच्छा थी कि संविधान को मजबूत बनाना हैं। प्रत्येक वर्ग को एकजुट होकर समाज के लिए योगदान करते रहें। उन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया। आज हम एक सफल लोकतंत्र के रूप में दुनिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं तो इसके पीछे उस संविधान की सबसे बड़ी भूमिका है, जिसके शिल्पकार डॉ0 अम्बेडकर जी हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छा लोकसेवक और एक अच्छा नागरिक बनने के लिए हमे डॉ0 भीमराव आंबेडकर जी की जीवनी व उनकी लिखी किताबों को पढ़ना चाहिये। 

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