Dainik Athah

जनता से सीधे जुड़ाव न रखने वाले सांसदों के टिकट काटने की तैयारी

भाजपा ने शुरू की 2024 की तैयारी

अफसरशाही के अंदाज से इस बार नहीं मिल सकेगा लोकसभा का टिकट

पार्टी करवा रही है यूपी समेत पूरे देश में सर्वे

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 4 से 6 सांसदों के कट सकते हैं टिकट



  • अशोक ओझा
    नयी दिल्ली।
    भारतीय जनता पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है। इसके तहत जहां पार्टी का पूरा ध्यान हारी सीटों पर विजय पताका फहराने की है तो दूसरी तरफ वर्तमान सीटों को बचाये रखने की है। ऐसी स्थिति में पार्टी केवल चेहरे देखकर इस बार टिकट देनी वाली नहीं है। जिन सांसदों का आम जनता और कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव नहीं है ऐसे सांसदों का इस बार टिकट कटना तय माना जा रहा है।
    भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व का ध्यान सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर सबसे अधिक है। 2019 में पार्टी को जिन लोकसभा सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था उन सीटों को पार्टी हर हाल में जीतना चाहती है। यहीं कारण है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व में संगठन मंत्री रहे और वर्तमान में राष्टÑीय महामंत्री सुनील बंसल को इन हारी सीटों को जीतने की जिम्मेदारी सौंपी है। उनके नेतृत्व में केंद्रीय नेताओं एवं केंद्रीय मंत्रियों का समूह काम करेगा। रणनीति सुनील बसंल की होगी और उसके हिसाब से काम केंद्रीय टीम के साथ ही प्रदेश की टीम को करना होगा। इन सीटों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर पार्टी का खास ध्यान है।
    भाजपा सूत्र बताते हैं कि पार्टी इस बार किसी प्रकार की कोई कमी छोड़ने को तैयार नहीं है। यहीं कारण है कि उन सीटों पर पार्टी विशेष फोकस कर रही है जहां के सांसदों का आम जनता और कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव नहीं है। इनमें भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब चार से छह सीटें शामिल है। इनमें बागपत के साथ ही मेरठ, नोएडा, शामली पर विशेष ध्यान है। बागपत व मेरठ सीट पार्टी बहुत कम अंतर से जीती थी। इस कारण ये सीटें रेड जोन में शामिल की गई है। इन सांसदों को लेकर पार्टी में चर्चा है कि सांसदों का कार्यकर्ताओं एवं जनता से सीधा जुड़ाव नहीं है। जो सांसद गुटबाजी बढ़ाने पर विशेष ध्यान देते हैं उनके रवैये को लेकर भी नेतृत्व खफा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सांसदों पर यह आरोप विशेष रूप से लगता है। मेरठ को ही लें तो सांसद ने हापुड़ में वैश्य समाज का एक गुट अलग से ही तैयार कर दिया है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। वहीं, बागपत सांसद की पार्टी के किसी भी विधायक से पटरी न बैठना नेतृत्व की चिंता का सबब बना हुआ है।
    भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी ऐसे सांसदों के क्षेत्र में विशेष रूप से सर्वे करवा रही है। सर्वे की अब तक की रिपोर्ट पार्टी के लिए चिंता उत्पन्न करने वाली है। इसमें यह भी सामने आया है कि कुछ सांसदों का पार्टी कार्यकर्ताओं एवं जनता के बीच अंदाज अफसरी है। इसी कारण उनकी दूरी जनता से कम नहीं हो रही। यहीं कारण है कि एक बार फिर से गोपनीय रूप से सर्वे करवाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के टिकट तय होने तक पार्टी करीब तीन से चार सर्वे करवा चुकी होगी। सभी सर्वे के आधार पर पार्टी टिकट तय करेगी

सूत्र बताते हैं कि पार्टी के ये गोपनीय सर्वे ऐसे लोगों की टीम से करवाये जा रहे हैं जो पार्टी के कामकाज से सीधे न जुड़कर आम जनता के बीच खुलेआम बैठकर चर्चा करते हैं। इनमें कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी समय समय पर शामिल किया जाता है।

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