प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब प्रदेश में सत्ता संभाली एवं अपराधियों के खिलाफ पुलिस को खुली छूट दी तो अपराधी या तो दुबक गये या फिर तख्ती लटका कर थाने पहुंचने लगे।
लेकिन तीन साल में ही ऐसा क्या हो गया कि अपराधियों के दिल से पुलिस का भय काफूर हो गया। वह भी बाबा के राज में। कोरोना लॉक डाउन के बाद जिस प्रकार अचानक अपराधों में एकाएक वृद्धि हुई है गाजियाबाद- बागपत से लेकर प्रदेश के हर जिले में तकरीबन एक जैसी स्थिति है।
बागपत में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की जिस प्रकार दिन निकलते ही ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या की यह घटना बताती है कि पुलिस का अपराधियों में खौफ नहीं है। बताते हैं कि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर को अपनी हत्या की आशंका थी। उन्होंने इसके लिए थाने से लेकर शासन तक एवं केंद्रीय नेताओं के चक्कर लगाये। लेकिन कहीं से भी उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला।
दूसरी तरफ देखें तो अलीगढ़ में भाजपा के वर्तमान विधायक की पुलिस ने ही थाने में पिटाई कर दी। इस मामले को लेकर गौंडा थाना क्षेत्र में पुलिस के खिलाफ बाजार भी बंद हो गये। यह घटनाएं बताती है कि पुलिस की स्थिति क्या है।
यदि कानपुर कांड को ही देखें तो पुलिस वालों की मिलीभगत से ही विकास दूबे सीओ समेत आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस वालों को मारकर फरार हो गया था। भाजपा नेताओं से यदि प्रदेश के किसी भी हिस्से में बात हो तो पता चल जायेगा कि बड़े पुलिस अफसर तो दूर थानों में बैठे प्रभारी एवं चौकी प्रभारी तक किसी की सुनने को तैयार नहीं है।
यहीं कारण है कि अब भाजपाई भी कहने लगे हैं अब बदल गई है यूपी पुलिस