भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने प्रभारियों को दिये स्पष्ट निर्देश
टिकट उन्हें जो नाम जिलों से भेजे जायेंगे
पार्टी प्रत्याशी की जीत की रणनीति बनाने के स्थान पर टिकट वितरण में लग जाते हैं प्रभारी
प्रभारियों को निर्देश सीटें कैसे जीतनी है इसको लेकर करें मेहनत
अशोक ओझा
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी ने आगामी निकाय चुनावों को लेकर कसरत तेज कर दी है। इसके साथ ही बाहर से जाने वाले प्रभारियों की भूमिका भी करीब करीब तय कर दी है। निकाय प्रभारी टिकट वितरण पर ध्यान न देकर पार्टी एवं प्रत्याशी को विजयी बनाने पर ध्यान केंद्रीत करेंगे।
बता दें कि तीन दिन पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी एवं प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने निकाय चुनावों के संबंध में बैठक ली थी। बैठक में जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारियों के साथ ही निकायों के लिए नियुक्त प्रभारियों को बुलाया गया था। इस बैठक में प्रदेश नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से निकाय चुनाव के लिए नियुक्त प्रभारियों को निर्देश दिये कि वे टिकट वितरण से खुद को दूर रखें। टिकट वितरण के झमेले में पड़ने के स्थान पर उन्हें अपने आवंटित क्षेत्रों में जाकर यह रणनीति बनानी है कि पार्टी उस निकाय में कैसे जीत हासिल कर सकती है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार होता यह है कि जिन्हें प्रभारी बनाया जाता है वे खुद ही टिकट वितरण में शामिल हो जाते हैं। इस कारण अनेक स्थानों पर संगठन एवं प्रभारियों में मतभेद भी उत्पन्न हो जाते हैं जिसका असर चुनाव संचालन पर पड़ता है। इसी कारण प्रदेश नेतृत्व ने निकाय चुनाव प्रभरियों को स्पष्ट निर्देश बैठक में स्पष्ट रूप से जारी कर दिये। अब टिकट चाहने वाले कार्यकर्ता, प्रभारियों की गणेश परिक्रमा नहीं लगायेंगे।
- जिला- महानगर अध्यक्षों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
भाजपा सूत्रों के अनुसार बैठक में यह संकेत भी दिये गये हैं कि महापौर, नगर पालिका एवं नगर पंचायत चेयरमैन के साथ ही पार्षद एवं सभासदों के टिकट वितरण में उन्हीं नामों पर विचार किया जायेगा जो नाम जिला एवं महानगर अध्यक्ष भेजेंगे। हालांकि जिला- महानगर अध्यक्ष जन प्रतिनिधियों से अवश्य इस संबंध में सलाह करेंगे। टिकट वितरण की रूपरेखा तय होने के कारण अब आवेदन केवल जिलों में ही देने होंगे। - लखनऊ में गणेश परिक्रमा न करें कार्यकर्ता
पार्टी ने सभी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने का प्रयास भी किया है कि वे टिकट के लिए लखनऊ आकर गणेश परिक्रमा करने से बचें। इसका कारण यह है कि टिकट में उन्हीं नामों पर विचार किया जायेगा जो नाम जिलों से आयेंगे। आवेदन भी जिला व महानगर में ही देने होंगे।