यूपी में अब सरकार में बदलाव नजर आने लगा है। सत्ता के साथ संगठन की जुगलबंदी से कार्यकर्ताओं के चेहरों पर भी रौनक बढ़ गई है। यह बदलाव पिछले दिनों धरातल पर भी नजर आया। वह यह था कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे विधायकों एवं पार्टी पदाधिकारियों से संवाद किया, वह भी खुला। हालांकि गाजियाबाद प्रशासन से भाजपा पदाधिकारियों को कोई शिकायत शायद ही रही हो।
बात नीचे तक के अधिकारियों तक संदेश जाने की थी। वह संदेश भी इस सत्ता- संगठन संवाद के बाद जा चुका है। विधानसभा चुनाव से पहले विधायकों एवं संगठन की यह बड़ी शिकायत थी कि जिलों में तैनात अधिकारी एवं नीचे के स्तर तक उनकी सुनवाई नहीं होती। लेकिन जब मुख्यमंत्री खुद शिकायतें- समस्याएं सुनने बैठे हो तो नीचे तक यह संदेश खुद ब खुद चला जाता है। अब कोई यह भी नहीं कह सकता कि अपनी ही सरकार में उनकी सुनवाई नहीं हो रही।
जिस सत्ता- संगठन संवाद की मैं बात कर रहा हूं वहां पर जिले अथवा मंडल स्तर के कोई अधिकारी उपस्थित नहीं थे। यदि थे तो मुख्यमंत्री के ओएसडी जो शिकायतों को मुख्यमंत्री के इशारे पर नोट कर रहे थे। अब भाजपा के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने भी यह कह दिया कि संगठन और सरकार मिलकर चलेंगे। उस समय मुख्यमंत्री भी मंचासीन थे। इसका संदेश भी स्पष्ट है।
जो दिक्कतें 2022 के विधानसभा चुनाव में आई थी वह भविष्य में न आये कुछ ऐसा ही लगता है सरकार के मुखिया के कामकाज एवं साथ ही संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के बयान से। जब भूपेंद्र सिंह का रोड शो हो रहा था उस समय ऐसा लग रहा था कि पूरी सरकार ही चौधरी के रथ पर सवार है। यह हो भी क्यों न जब दोनों डिप्टी सीएम, स्वतंत्र देव सिंह एवं केंद्रीय मंत्री भी साथ हो। संगठन- सरकार की बदली चाल का निश्चित ही भाजपा को आने वाले समय में लाभ भी मिलेगा यह भी तय है।
Manthan….. Manthan….. Manthan…..