Dainik Athah

जन्माष्टमी पर मथुरा को मिली दो सीवेज प्लांट की सौगात

282.42 करोड़ की लागत से तैयार होगी परियोजना

परियोजना के तहत 4 जगहों पर बनाई जाएंगी इंटरसेप्शन और डायवर्जन संरचनाएं

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए गंभीर है और इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा की नगरी मथुरा को नमामि गंगे राष्ट्रीय मिशन के तहत 282.42 करोड़ रुपए की लागत वाली दो सीवेज परियोजनाओं को हरी झंडी दी गई। परियोजना में 4 जगहों पर इंटरसेप्शन और डायवर्जन संरचनाएं बनाई जाएंगी, जिसकी कुल लम्बाई 1.97 किलोमीटर होगी। इसके अलावा एक राइजिंग मेन लाइन भी इन नालों के लिए बनाई जाएगी, जिसकी लम्बाई 9.29 किलोमीटर होगी। वहीं, नए एसटीपी की कुल क्षमता 60 एमएलडी की होगी। इसके साथ ही 66 मिलियन लीटर रोजाना क्षमता वाला एसटीपी बनकर तैयार हो गया है, जिसका उद्धाटन जल्द होगा।

मथुरा के जोन तीन में बनेंगे दो सीवेज प्लांट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की नदियों को साफ सुथरा बनाने के लिए उसमें गिर रहे सीवर और औद्योगिक कचरे के प्रवाह को रोकने के लिए उसकी खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। प्रदेश की नदियां पिछले पांच वर्षों में साफ और अविरल हुई हैं। साथ ही कई नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। इसी कड़ी में जन्माष्टमी के अवसर पर नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मथुरा को दो सीवेज परियोजनाओं की सौगात दी गई। मालूम हो कि हाल ही में मथुरा नगर पालिका को मथुरा वृंदावन नगर निगम में अपग्रेड किया गया, जिससे शहर की सीमा का विस्तार हुआ। ऐसे में जोन तीन कोयला अलीपुर के ग्राम औरंगाबाद से होकर बहने वाले 3 नालों की टैपिंग की आवश्यकता को महसूस किया गया था। इसमें मथुरा जोन तीन (कोयला अलीपुर) और अंबखर ड्रेन (आंशिक रूप से) के शेष 3 नालों का इंटरसेप्शन और डायवर्जन किया जाएगा, जिसमें सीवेज पंपिंग स्टेशनों और 60 एमएलडी के नए एसटीपी का निर्माण भी शामिल है। इससे पहले शहर के करीब 20 नालों को टैप किया जा चुका है। वहीं मथुरा शहर का विस्तार होने पर 3 बड़े नालों की टैप करने की जरूरत महसूस की गई।

यमुना में गिरने वाले प्रदूषित नालों को किया जाएगा डायवर्ट

दो सीवेज परियोजनाओं की कुल लागत 282.42 करोड़ रुपए है। वहीं 15 वर्षों के लिए आॅपरेशनल एवं मेंटिनेंस कॉस्ट 130.40 करोड़ रुपए है, जो रखरखाव के लिए है। परियोजनाओं को दो साल में पूरा करना होगा। परियोजनाओं की निगरानी के लिए यूपी जल निगम को जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि तय समय में काम पूरा हो सके। इस परियोजना के पूरा होने से यमुना नदी में गिरने वाले प्रदूषित नालों को डायवर्ट किया जा सकेगा। जानकारों की मानें तो परियोजना का केवल एसटीपी के निर्माण के साथ प्रदूषित नालों का डायवर्जन पर फोकस है। परियोजना पूरी तरह से हाइब्रिड एन्यूटी (एचएएम) आधारित पीपीपी मोड पर आधारित होगी। मालूम हो कि शहर का सीवेज नालों में बहकर तीन नालों के माध्यम से यमुना नदी में जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के अनुसार अनुपचारित सीवेज मथुरा में यमुना नदी में प्रवाहित नहीं हो सकता है, इसलिए शहर में चार नाले के साथ-साथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए इंटरसेप्शन और डायवर्जन सिस्टम उपलब्ध कराना जरूरी है।

यह है इंटरसेप्शन और डायवर्जन

इंटरसेप्शन और डायवर्जन खुले नालों के माध्यम से नदी में बहने वाले कच्चे सीवेज को पकड़ने और उन्हें उपचार के लिए डायवर्ट करने का काम करता है।

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