BCCI द्वारा चीनी मोबाइल कंपनी Vivo को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 2020 संस्करण के स्पांसर से हटाए जाने के बाद इस रेस में अब कई कंपनियां रेस में आ गई हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इस संबंध में गुरुवार को आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया कि अगले एक साल के लिए वो Vivo को IPL के स्पॉन्सर के रूप में हटा रही है। इसके बाद अब इस रेस में कई कंपनियां आ गई हैं।
इन कंपनियों में Coca Cola, BYJUs और Dream 11 जैसी कंपनियां शामिल हैं। Vivo के साथ बीसीसीआई की यह डील पांच साल के लि थी और 440 करोड़ रुपए की थी। इस डील का एक साल और बचा हुआ था और भारत और चीन के बीच तनाव के कारण बीसीसीआई ने डील रद्द कर दी है। हालांकि, यह डील उम्मीद से कम की होगी लेकिन फिर भी यह BCCI के लिए फायदे का ही सौदा होगा।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेजन जैसी कंपनियां भी इस तरफ नजर गढ़ाए हुए हैं और यह भी संभव है कि टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सर करने वाली BYJUs भी इस मौका भुना सकती है। दावा किया जा रहा है कि अगर BYJUs टीम इंडिया का स्पॉन्सर बनता है तो यह दोनों के लिए फायदे का सौदा होगा।
इतना ही नहीं Unacademy, Dream 11 और MyCircle 11 भी रेस में हैं। अब देखना होगा कि कौन इस मौके का फादा उठा पाता है और टीम इंडिया का अगला स्पॉन्सर बनता है।
मालूम हो कि इसी साल जून में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत के बाद से ही कई लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने की बात कही थी। IPL गवर्निग काउंसिल ने जब स्पांसर रिटेन करने की बात कही थी तो भी सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर विरोध जताया था। इसके बाद BCCI ने इस डील को निलंबत करने का फैसला किया।
अगले महीने शुरू होगा IPL
IPL का 13वां सत्र यूएई में अगले महीने 19 सितंबर से शुरू होगा। इसका फाइनल मैच 10 नवंबर को खेला जाएगा। पहले यह लीग मार्च में भारत में ही खेली जानी थी, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इसे तब स्थगित कर दिया गया था।
नए स्पांसर पर सस्पेंस
सूत्रों के मुताबिक, चीनी कंपनी Vivo अगले साल यानी 2021 में स्पांसर रहेगी, जो डील 2023 तक चलेगी। इस साल के लिए नए स्पांसर का एलान जल्द किया जाएगा, लेकिन सभी को इंतजार है कि इतने कम समय में बोर्ड किस कंपनी को स्पांसरशिप के लिए तैयार करेगा।
2199 करोड़ में हुआ था करार
Vivo इंडिया ने 2017 में IPL के मुख्य प्रायोजक अधिकार 2199 करोड़ रुपये में हासिल किए थे। इससे लीग को हर सत्र में उसे करीब 440 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। इस चीनी मोबाइल कंपनी ने सॉफ्ट ड्रिंक वाली दिग्गज कंपनी पेप्सिको को हटाया था, जिसकी 2016 में 396 करोड़ रुपये की डील थी।