मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के तीसरे दिन देर शाम मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया गया। विभागों के बंटवारे में मोदी- योगी की हनक पूरी तरह से नजर आ रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय से वीआरएस लेकर आये अरविंद कुमार शर्मा को ताकतवर बनाया गया है। उन्हें नगर विकास के साथ ही ऊर्जा विभाग दिया गया है। दोनों ही महत्वपूर्ण विभाग है। लेकिन उनकी कार्यशैली ऐसी है कि दोनों ही विभागों को वे आराम से चला सकते हैं। इसके साथ ही बृजेश पाठक, स्वतंत्र देव सिंह को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। लेकिन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से लोक निर्माण विभाग लेकर उन्हें ग्राम्य विकास एवं मनोरंजन कर विभाग दिये गये हैं। मनोरंजन कर तो पहले ही वाणिज्यकर में मर्ज हो चुका है। इस प्रकार लगता है कि उनका कद कुछ घटाया गया है। लेकिन जितिन प्रसाद को लोक निर्माण विभाग देकर यह जताया गया है कि उनके ऊपर मोदी- योगी ने विश्वास जताया है। लेकिन इस विभाग को संभालना उनके लिए आसान नहीं रहने वाला। जबकि वे केंद्र की कांग्रेस सरकार में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं भूतल परिवहन में राज्यमंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भूपेंद्र चौधरी एवं सूर्य प्रताप शाही अपने पुराने विभाग बचाने में सफल रहे हैं। जिन जातियों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया गया है उन जातियों के मंत्रियों को उनसे संबंधित विभाग ही दिये गये हैं। इसका सीधा मकसद यह है कि वे इन विभागों के माध्यम से अपने समाज को लाभ पहुंचाने का काम करें। विभागों के बंटवारे में जिस प्रकार दयाशंकर सिंह को परिवहन विभाग दिया गया है उससे लगता है कि उनको भी महत्व दिया गया है। पूरे मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे में योगी- मोदी- शाह की तिकड़ी ने बड़ी ही सफाई से बंटावारा किया है। जिस मंत्री के पर काटे गये हैं उन्हें उससे मिलाजुला विभाग देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। एक- दो को छोड़कर किसी के पास तुनकने का मौका भी नहीं है। देखना यह होगा कि मंत्रियों के ऊपर जिम्मेदारी अधिक है। उन्हें काम करके दिखाना होगा अन्यथा…