गाजियाबाद के बिल्डर विक्रम त्यागी को गायब हुए करीब डेढ़ महीना हो आ रहा है। उनको तलाश करने की मांग को लेकर लंबा आंदोलन चला, प्रदर्शन हुए, कैंडिल मार्च निकाला गया। इसके बाद कहा गया कि पूरा मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया है। लेकिन जिस प्रकार से पुलिसिया जांच कछुए की गति से चल रही है उसे देखते हुए नतीजा कब तक निकल सकेगा इसको लेकर पूरा पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में है।
पुलिस नजर लगता है कि विक्रम त्यागी को ढूंढने में कम, आंदोलन को शांत करने पर अधिक है। इस मामले में जद यू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री जनरल साहब, आप, रालोद, कांग्रेस, सपा समेत सभी दल जुटे लेकिन नतीजा निकलता नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश की पुलिस जिसने कानपुर के बिकरू कांड के दुर्दांत अपराधी विकास दूबे को प्रदेश की तेज तर्रार पुलिस ने ढूंढ निकाला था।
उसके साथ ही अनेक बड़े अपराधियों को उनके बिल में घुसकर मारा। लेकिन ऐसा क्या हो गया कि गाजियाबाद से लेकर मुजफ्फरनगर तक की पुलिस एवं एसटीएफ किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि जिस प्रकार लोगों में गुस्सा है वह कभी भी फूट सकता है। गाजियाबाद की यह अकेली घटना पुलिस की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। इसके साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली एवं चाल को देखकर यह लगता है कि विक्रम त्यागी की गुमशुदगी कहीं पुलिस की फाइलों में दबकर ही न रह जाये।