पिछले पांच दिन से रुस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। इस युद्ध में अब तक दोनों तरफ के हजारों लोग मारे जा चुके हैं। इनमें सैनिक भी शामिल है। रुस की विशाल सेना का मुकाबला यूक्रेन पूरी बहादुरी से कर रहा है। हालांकि यूरोपीय देशों ने युद्ध के लिए उकसाने के बाद अपने पैर पीछे कर लिए। इस युद्ध में जो महत्वपूर्ण बात देखने में आ रही है वह यूक्रेन के लोगों का राष्टÑ प्रेम। दोनों देशों के बीच युद्ध के दौरान जैसे ही यूक्रेन के राष्टÑपति ने अपने देश के लोगों से आगे बढ़कर रुस का मुकाबला करने की अपील की वैसे ही चाहे सांसद हो, चाहे वह गृहिणी हो या कोई अन्य हर कोई हथियार उठाने के लिए बेताब नजर आया। यूक्रेन के लोग निहत्थे भी रुसी सेना के सामने डट रहे हैं। यूक्रेन के उस राष्टÑ भक्त इंजीनियर को भी नहीं भूलना चाहिये जिसने रुसी टैंकों का रास्ता रोकने के लिए खुद से बम बांधकर एक पुल को उड़ा दिया। लोग कहते हैं कि यूक्रेन के लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। मेरा मानना है कि यूक्रेन छोड़ने वालों में अधिकांश वे लोग हैं जो महिलाओं एवं बच्चों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना चाहते हैं। लेकिन ऐसा कहने वाले उन लोगों को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं जो चाहे किसी भी देश में हो, लेकिन रुस की सेना से लड़ने के लिए वापस अपने देश पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे हैं। अपने देश के प्रति यह जज्बा निसंदेह तारीफ करने योग्य है। यहीं वह जज्बा है जो विश्व की महाशक्ति को पांच दिनों तक रोके रहा है। रुस के राष्टÑपति पुतिन ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि उसे छोटे से देश यूक्रेन इतनी कड़ी टक्कर देगा। मेरा मानना है कि देशभक्ति का जज्बा जिस भी देश के नागरिकों में होगा वह देश अपने राष्टÑ भक्तों के दम पर किसी भी तानाशाह अथवा महाशक्ति का मुकाबला कर सकता है।