अथाह ब्यूरो
प्रयागराज। इलाहा बाद हाई कोर्ट ने ट्रांसजेंडर महिला के बच्चा गोद लेने पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी ट्रांसजेंडर महिला के लिए बच्चे को गोद लेने के लिए किसी विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट के इस आदेश से अब कोई भी ट्रांसजेंडर महिला भी किसी भी बच्चे को गोद ले सकती हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डा. कौशल जयेन्द्र ठाकुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने ट्रांसजेंडर महिला रीना और उसके पति की बच्चा गोद लेने को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा है कि एकल माता-पिता हिंदू दत्तक और भरणपोषण अधिनियम, 1956 के तहत वह किसी भी बच्चे को गोद ले सकता है। रीना और उसके पति की याचिका में उनके विवाह को रजिस्टर्ड करने के लिए आनलाइन आवेदन पर उप निबंधक वाराणसी को विचार करने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी।
याची ( ट्रांसजेंडर महिला ) और उसके पति (पुरुष) ने दिसंबर 2000 में महावीर मंदिर अर्दली बाजार वाराणसी में हिंदू रीति से शादी की। इसके बाद उन्होंने एक बच्चा गोद लेने का फैसला किया। उन्हें बताया गया कि बच्चे को गोद लेने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। इसी कारण उन्होंने उप-निबंधक वाराणसी के समक्ष ऑनलाइन आवेदन किया। जहां पर उनके विवाह को इसलिए पंजीकृत नहीं किया गया क्योंकि याची नंबर एक ट्रांसजेंडर महिला है।
इसके बाद उन्होंने सब-निबंधक को अपनी शादी को पंजीकृत करने का निर्देश देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिससे कि वह लोग एक बच्चे को गोद ले सकें। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को याचिकाकर्ताओं के ऑनलाइन आवेदन पर विस्तृत आदेश पारित करने का निर्देश दिया किन्तु यह भी कहा कि बच्चे को गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।