शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की तैयारी
कोविड संक्रमण के चलते बाधित गतिविधियां फिर शुरू
अथाह संवाददाता
हापुड़। जिले में पल्स पोलियो अभियान 20 मार्च से शुरू होगा। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 13 महीनों से यह अभियान स्थगित था। इस संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. रेखा शर्मा ने बताया निर्देश के अनुसार पोलियो अभियान के लिए तैयारियां की जा रही हैं। जिले में कोविड लगभग पूरी तरह काबू में है, लेकिन फिर भी अभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है, घर से बाहर निकलते समय मॉस्क अवश्य लगाएं।
सीएमओ ने कहा- कोरोना संक्रमण के चलते 13 माह से पोलियो की दवा नहीं पिलाई जा सकी। कोरोना संक्रमण काबू होने के बाद अब धीरे-धीरे सामुदायिक गतिविधियां शुरू की जा रही हैं। शासन के निर्देश पर 20 मार्च से पोलियो अभियान के तहत ह्लदो बूंद जिंदगी कीह्व पिलाई जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए तैयारियों में जुट गया है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजीव कुमार ने बताया आंकड़ों के अनुसार जिले में पोलियो ड्रॉप पीने वाले लक्षित बच्चों की संख्या करीब ढाई लाख है। हालांकि अभी माइक्रोप्लान तैयार होने के बाद ही लाभार्थी बच्चों की सही संख्या स्पष्ट हो पाएगी।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया- जिले में कोरोना संक्रमण के फैलाव के चलते जनवरी 2021 के बाद पोलियो मोपअप राउंड नहीं चल सका है। शासन की ओर से 23 जनवरी, 2022 से यह राउंड चलाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उस दौरान पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा था जिसके चलते अभियान को स्थगित कर दिया गया। अब शासन ने 20 मार्च से पोलियो मोपअप राउंड चलाने के निर्देश दिए हैं। जिले में ढाई लाख से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाई जानी है। विभाग इसके लिए तैयारियों में जुट गया है। इसके साथ ही सात मार्च से मिशन इंद्रधनुष-4.0 शुरू हो रहा है। इस विशेष अभियान के दौरान नियमित टीकाकरण से छूटे दो वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती को टीके लगाए जाएंगे।
2010 में सामने आया था पोलियो का आखिरी मामला
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजीव कुमार ने बताया- जनपद में धौलाना क्षेत्र के खिचड़ा गांव में 20 जनवरी, 2010 को पोलियो का आखिरी मामला सामने आया था। उसके बाद जनपद को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था। धौलाना क्षेत्र के कुछ गांव रिस्क जोन में रखे गए हैं, रिस्क जोन में खास सतर्कता बरती जाएगी। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी का कहना है कि एहतियात के तौर पर शून्य से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलाई जाती है, ताकि प्रतिरक्षण की श्रंखला टूटने न पाए।
दो वर्ष तक बच्चों के लिए जरूरी टीके
जन्म के समय – बीसीजी, पोलियो और हेपेटाइटिस-बी।
छठे सप्ताह पर – पोलियो-1, रोटा वायरस-1, आईपीवी-1, पेंटावेलेंट-1, पीसीवी-1
10वें सप्ताह पर – पोलियो-2, रोटा वायरस-2, पेंटावेलेंट-2
14वें सप्ताह पर – पोलियो-3, रोटा वायरस-3, आईपीवी-3, पेंटावेलेंट-3, पीसीवी-3
नौ से 12 माह पर – मीजल्स, रूबैला-1, पीसीवी बूस्टर डोज, 14 से 24 माह पर – पोलियो बूस्टर डोज, मीजल्स रूबैला-2, डीपीटी बूस्टर-1