जेब में नहीं दाने और अम्मा…
गाजियाबाद की पांचों विधानसभा सीटों पर मतदान खत्म होने के बाद अब हर आदमी भविष्य वक्ता हो गया है। प्रत्याशियों की हार जीत पर दांव खेले जा रहे हैं। जिन्हें अपने घर के खेल का नहीं पता, वह प्रत्याशियों का भाग्य तय कर रहे हैं। इन दिनों दरबारी लाल के सामने एक ऐसा ही वाकया देखने को मिला। चाय पर चर्चा के दौरान नवयुग मार्केट में एक खोखे पर दो राजनीतिक दलों के समर्थकों में बहस छिड़ गई। दोनों अपने प्रत्याशियों की जीत पर पैसा लगाने के लिए तैयार हो गए। तभी चाय वाले ने तगादा ठोंक दिया कि भाई साहब, पहले मेरा पुराना हिसाब तो क्लियर कर दो, बाद में हार जीत का पैसा लगाना।
… हमसे तो ये नये छोरे ही चौखे निकले
इन दिनों जहां देखो वहां विधानसभा चुनाव की ही चर्चा है। ऐसे ही साइकिल वाले एक नये प्रत्याशी के संबंध में इसी दल के कुछ वरिष्ठों के बीच चर्चा चल रही थी। चर्चा के बीच दरबारी लाल ने दस्तक दी। चर्चा चल रही थी शहर को लेकर। एक वरिष्ठ कहते हैं कि भाई ने पहली बार ही चुनाव लड़ा और लाखों के वारे न्यारे कर दिये। इस पर दूसरे ने पूछा कैसे। इसका जवाब भी था, पार्टी ने जो दिया वह तो बचा ही लिया, साथ ही चंदा एवं जो प्रत्याशी उसे सहारा दे रहा था उससे तो भारीभरकम माल हथिया लिया भाई ने। तभी एक अन्य कहते हैं हमारी पूरी जिंदगी गुजर गई जूते घिसटते हुए। हमसे तो ये नये छोरे ही चौखे निकले।
…दरबारी लाल
Raag Darbari…. DarbariLal…. RaagDarbari ….