ब्लैक लिस्ट होने से पाकिस्तान पर आर्थिक जुर्माने, प्रतिबंध और सख्त कर दिए जाएंगे
अथाह ब्यूरो,
नई दिल्ली। पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन करने के अपने रुख में अब तक कोई बदलाव नहीं किया है। अब उसे अपने इस रवैये की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। दरअसल, फ्रांस की आतंकरोधी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक जल्द ही होने वाली है। इसमें पाकिस्तान में जारी आतंकी गतिविधियों को लेकर चर्चा होनी है। माना जा रहा है कि पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल पाकिस्तान इस साल संस्थान की ब्लैक लिस्ट में शामिल हो सकता है। यानी उसकी वित्तीय स्थितियां अब और बिगड़ने के आसार हैं।
पाकिस्तान जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। तब से लेकर अब तक वह इस लिस्ट में बना हुआ है। एफएटीएफ ने आतंकवादी गतिविधियों की वित्तीय मदद न रोक पाने के लिए पाकिस्तान को कई बार चेतावनी भी जारी की। इसके बावजूद इमरान सरकार अब तक आतंकवाद के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल को नहीं रोक पाया है।
ग्लोबल स्ट्रैट व्यू नाम की एक पत्रिका ने अपने विश्लेषण में कहा है कि पाकिस्तान की ओर से बीते दिनों में कई ऐसी हरकतें हुई हैं, जिनकी वजह से उस पर ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार अब तक आतंकियों को रोकने में नाकाम ही नहीं हुई है, बल्कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे इस्लामिक संगठनों को बढ़ावा भी दे रही है।
पाकिस्तान पहले ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है। इसके चलते पाक को आयात, निर्यात के क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, उसे विदेशी मदद पाने में भी खासी दिक्कतें आई हैं। इसके चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और इमरान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से लेकर चीन और अरब देशों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है।
अब अगर आतंकवाद की मदद के लिए पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया गया, तो उस पर आर्थिक जुर्माने लगाए जाएंगे। इसके अलावा उस पर आर्थिक प्रतिबंध और सख्त कर दिए जाएंगे। इससे 2008 से 2019 के बीच अपनी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा गंवा चुके पाकिस्तान की हालत और खराब हो जाएगी।