Dainik Athah

मंथन- मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन: मुफ्तखोरी के दावे कहां ले जायेंगे देश को!

एक कहावत है मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन। अब तो हर पार्टी ही मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने लगी है। यदि इतिहास के पन्नों को पलटें तो सबसे पहले मुफ्त में राशन समेत अन्य वस्तुएं देने का प्रचलन तेलगु अभिनेता से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें एनटीआर (एनटी रामाराव) ने शुरू किया था। उनके बाद यह दक्षिण के राज्यों के चुनाव में मुफ्त में सामान देने के वादों के साथ ही महंगी वस्तुएं उपहार में बांटी जाने लगी। दक्षिण के बाद यह प्रथा दिल्ली में अपने को आम आदमी का नेता कहने वाले अरविंद केजरीवाल एवं उनकी आप पार्टी ने शुरू किया। दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव में मुफ्त बिजली- पानी के वादे के साथ ही ये सरकार में आये। अब ये यूपी में फ्री बिजली देने के वादे करने लगे। इनके नक्शे कदम पर चलते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 300 यूनिट घरेलू बिजली मुफ्त देने का वादा कर दिया। जब सभी दल सरकार का खजाना लुटाने की घोषणा करने लगे तो आखिर सत्तारूढ़ भाजपा कहां तक पीछे रहती। दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी होली- दीपावली पर मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर देने की घोषणा कर दी। इससे भी आगे बढ़कर अखिलेश ने राशन संग घी- तेल का वादा कर दिया। हर दल गरीबों को मुफ्तखोरी की घुट्टी तो पिला रहा है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इसके लिए पैसा कहां से आयेगा। अब तक मध्यम वर्ग सबसे अधिक चक्की में पीसा जा रहा है। मुफ्तखोरी के वादे पूरे करने के लिए भविष्य में भी मार इस मध्यम वर्ग पर ही पड़ेगी। यदि एक बार उत्तर भारतीयों को भी मुफ्तखोरी की आदत राजनीतिक दलों ने डाल दी तो आने वाले समय में मुफ्तखोरी की मांग कभी खत्म नहीं होगी। लेकिन यह मुफ्तखोरी किसे पसंद नहीं। मध्यम वर्ग वालों को भी यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सरकारें जेब इनकी ही काटेगी। अब भी वक्त संभल जागो। मुफ्तखोरी की चटनी लेकर घूमने वालों को सबक सिखाओ।

जय हिंद

Manthan ….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *