Dainik Athah

राम काज कीने बिन, मोहि कहां विश्राम

कविलाश मिश्र
अयोध्या। अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। वर्षों तक अदालत में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राम मंदिर का भूमि पूजन किया। इसके साथ ही राम मंदिर की नींव पड़ गई है।

प्रधानमंत्री ने पहले हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न होने पर प्रधानमंत्री ने अयोध्या की माटी को अपने माथे पर लगाया और प्रणाम किया। सियावर राम चंद्र की जय के साथ पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरूआत की।

उन्होंने कहा कि मेरा यहां आना बड़ा स्वाभाविक भी था क्योंकि राम काज कीने बिन मोहि कहां विश्राम। अपने संबोधन के दौरान कभी वे राष्ट्रप्रधान तो कभी संत नजर आए तो कभी एक आचार्य की तरह राम के चरित्र का बखान करते नजर आए।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदियों से चल रहे टूटने और उठने के क्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हुई है। श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। अपने अभिभाषण में पीएम ने राम से प्रेरणा लेने की सीख दी।

एक आचार्य की तरह उन्होंने प्रभू श्री राम के चरित्र का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं। भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं। उनका अद्भुत व्यक्तित्व, उनकी वीरता, उनकी उदारता उनकी सत्यनिष्ठा, उनकी निर्भीकता, उनका धैर्य, उनकी दृढ़ता, उनकी दार्शनिक दृष्टि युगों-युगों तक प्रेरित करते रहेंगे।

श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा। हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। इसी मयार्दा का अनुभव हमने तब भी किया था जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। हमने तब भी देखा था कि कैसे सभी देशवासियों ने शांति के साथ, सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। आज भी हम हर तरफ वही मयार्दा देख रहे हैं।

एक संत के रूप में प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है।

राम जन्म भूमि के पवित्र आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्ति जो जहां है इस आयोजन को देख रहा है वह भाव विभोर है सभी को आशीर्वाद दे रहा है साथियों राम हमारे मन में गड़े हुए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गई, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मयार्दा हैं, श्रीराम मयार्दा पुरुषोत्तम हैं।

राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना होए तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं। आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा प्रचलित है। मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी।

आखिर राम सबके हैं, सब में हैं। तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं! भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है।


एक राष्ट्रप्रधान के रूप में उन्होंने बताया कि हमें ये सुनिश्चित करना है कि भगवान श्रीराम का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे। कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो। ये हम सबकी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की जिम्मेदारी है। हमें ध्यान रखना है कि? जब-जब मानवता ने राम को माना है विकास हुआ है, जब-जब हम भटके हैं, विनाश के रास्ते खुले हैं। हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है। हमें सबके साथ से, सबके विश्वास से सबका विकास करना है। पीएम ने कहा कि इस मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है। जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर, केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को राम की सेवा करने का सौभाग्य मिला। उसी प्रकार आज देश के लोगों के सहयोग से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाए वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। भारत की ये शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है।
उन्होंने रामयण के एक चौपाई का उल्लेख करते हुए पड़ोसी देशों को भी चेतावनी दी। पीएम ने कहा कि भय बिन होए न प्रीत। शक्तिशाली भारत ही समृद्ध और शांत भारत बनेगा। साथ ही अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शांति भी बनी रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्मभूमि स्थल पर भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया और पूजा अर्चना की। रामलला विराजमान से चंद कदमों की दूरी पर प्रधानमंत्री ने पारिजात पौधे का रोपण किया। पौधारोपण के बाद प्रधानमंत्री पूजा स्थली के लिए रवाना हो गए। यहां पर पूजा के दौरान 9 शिलाओं का अनुष्ठान किया गया। भगवान राम की कुलदेवी काली माता की भी पूजा की गई। इसके लिए दो हजार से अधिक स्थानों और 100 से अधिक पवित्र नदियों एवं सैकड़ों कुंडों का जल लाया गया था।

श्रीराम जन्मभूमि पूजन के दौरान जो डाक टिकट जारी

प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पूजन के दौरान डाक टिकट जारी किया है, उसकी कीमत पांच रुपये है। फिलहाल पांच लाख डाक टिकट छापे जाएंगें। ये डाक टिकट यूपी सरकार द्वारा तैयार कराए गए हैं।

अब विलंब नहीं होना चाहिये

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि करोड़ों-करोड़ों की इच्छा है कि रामलला का विराट मंदिर बने, जिसका शुभारंभ आज हो गया है। भक्तों की भावनाओं का आज श्रीगणेश हो गया है। अब विलंब नहीं होना चाहिए। जहां रामलला विराजमान हैं वहां दिव्य और भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

आज एक नए भारत की नई शुरूआत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज पूरा देश आनंद से भर गया है। आज हमारा संकल्प पूरा हुआ है। उन्होंने इस दौरान राम मंदिर के लिए बलिदान देने वाले संघ के लोगों को याद किया और उनके योगदान को सराहा। इस मौके पर मोहन भागवत ने भारत की प्राचीन परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा देश ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ में विश्वास करता है यानि हमारे लिए विश्व एक परिवार है। हम सभी को साथ लेकर चलने में यकीन करते हैं। भागवत ने कहा कि आज एक नए भारत की नई शुरूआत है।

अवधपुरी को वैभवशाली नगरी बनाने के लिए प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सप्तपुरियों में शामिल अवधपुरी को समृद्धशाली एवं वैभवशाली नगरी बनाने की वचनबद्धता दोहराई। इस अवसर को मंगल उत्साह का दिन बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल मंदिर निर्माण का ही नहीं बल्कि भारत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का अवसर है। उन्होंने कहा, स्वदेश दर्शन के तहत सरयू नदी के घाटों का निर्माण कराया जा रहा है। रामकथा की श्रृंखला चल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन वर्ष पहले दीपोत्सव कार्यक्रम के अवसर पर राममंदिर निर्माण का जो सपना देखा था, वह अब भव्य एवं दिव्य मंदिर के रूप में सिद्ध हो रहा है। राममंदिर निर्माण के लिए पांच सौ वर्षों तक चले संघर्ष की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की ताकत से लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण ढंग से समस्या का समाधान हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *