अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गुरुग्राम के सेक्टर 109 में चिनटेल पैराडाइज अपार्टमेंट के छठे फ्लोर के लिविंग रूम की छत गिरने से फर्स्ट फ्लोर का एक हिस्सा धराशाई हो गया। हजारों टन मलबे के नीचे दबे प्रधानमंत्री कार्यालय के सीडब्लूसी विभाग में तैनात अरुण श्रीवास्तव को गाजियाबाद से पहुंची एनडीआरएफ ने 15 घंटे की मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया है। अरुण का आधा शरीर मलबे के नीचे दबा था, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ ने उसी स्थिति में ड्रिप और इंजेक्शन दिए।
4 खोजी कुत्तों सहित एनडीआरएफ की तीन टीमें, गाजियाबाद से दो और रीजनल रिस्पांस सेंटर द्वारका दिल्ली से एक टीम को घटनास्थल पर पहुंची। एनडीआरएफ की पहली टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही लगभग 19.40 बजे ऑपरेशन शुरू किया। क्योंकि हादसा पैनकेक पैटर्न में हुआ था जो कि बहुत गंभीर श्रेणी माना जाता है। ऐसे में अतिरिक्त सावधानी लेते हुए लगभग 20.45 बजे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साझे प्रयास से एक महिला के शव को मलबे से निकाला गया। गाजियाबाद से रवाना दोनों टीमों के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद बचाव ऑपरेशन में तेजी आई।
एनडीआरएफ कमांडेंट प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा तीनों टीमों का नेतृत्व करते हुए पूरी रात ऑपरेशन को जारी रखा। वहीं मौके पर एनडीआरएफ उपमहानिरीक्षक मोहसेन शहीदी भी मौके पर उपस्थित रहे और बचाव कार्य को लगातार मॉनिटर किया। एनडीआरएफ के इस बचाव दल में महिला रेस्क्यूर्स भी शामिल हैं। फर्स्ट फ्लोर पर ड्राइंगरूम में 59 साल के अरुण कुमार का शरीर मलबे में आधा दबा हुआ मिला। हजारों टन मलबा उनके पेट के नीचे आधे शरीर पर गिरा था। अरुण की सांसें चल रही थीं, जबकि बगल में दबी उनकी पत्नी की मौत हो चुकी थी। एनडीआरएफ ने अरुण को जिंदा बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। सबसे मुश्किल काम हजारों टन मलबे में दबे आधे शरीर को सुरक्षित बाहर निकालना था। इससे पहले अरुण की जान बचाना सबसे प्राथमिकता थी। खून काफी बह चुका था। एनडीआरएफ की टीम में शामिल डॉक्टरों ने मौकै पर ही ड्रिप लगाई और इंजेक्शन दिए। होश में आने के बाद अरुण ने एनडीआरएफ टीम से इशारों में बात भी की।
वाइब्रेशन कम करके छोटे उपकरणों से मलबा हटाया
एनडीआरएफ के मीडिया प्रभारी नरेश चौहान ने बताया कि सबसे मुश्किल काम अरुण के ऊपर गिरे हजारों टन मलबे को हटाना था। क्योंकि उन्हें हटाने के लिए यदि हम बड़े उपकरणों का उपयोग करते तो वाइब्रेशन से और भी बिल्डिंग गिर सकती थी। इसलिए हमें छोटे-छोटे उपकरणों का प्रयोग करना पड़ा, जो बेहद कम वाइब्रेशन करते हैं। उन्होंने बताया, ‘इन उपकरणों से हमने मलबे के छोटे-छोटे टुकड़े किए। इस तरह अरुण के शरीर के ऊपर से मलबे को हटाकर उन्हें शुक्रवार सुबह 11 बजे जिंदा बाहर निकाल लिया गया। इसके बाद उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। अरुण स्थानीय प्रशासन की निगरानी में हैं। बता दें कि इस हादसे में अब तक एक महिला की बॉडी निकाली जा चुकी है। अरुण की पत्नी का शव अभी तक मलबे से नहीं निकाला जा सका है। इसके लिए एनडीआरएफ का ऑपरेशन जारी है। वहीं बवाना उत्तरी दिल्ली में डीडीए की चार मंजिला ईमारत के ध्वस्त होने की सूचना प्राप्त हुई है, जिसमें 03-04 लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। गाजियाबाद स्थित आठवीं एनडीआरएफ की द्वारका स्थित आरआरसी से 28 सदस्यीय टीम 02 श्वानों के साथ घटना स्थल के लिए लगभग 16.55 बजे रवाना कर दिया गया है।