गाजियाबाद जिले में प्रथम चरण में विधानसभा चुनाव होना है। नामांकन के बाद नामांकन पत्रों की जांच का काम भी पूरा हो गया है। अब नाम वापसी एवं चुनाव चिन्ह आवंटन ही शेष है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के दौरे शुरू भी हो चुके हैं। प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशी दिन- रात एक किये हुए हैं। लेकिन स्थिति दूसरी है अधिकांश सीटों पर रूठे हुए दावेदारों के साथ ही रूठे कार्यकर्ताओं को मनाना प्रत्याशी एवं संगठन के लिए मुश्किल होता जा रहा है। कुछ नेता एवं कार्यकर्ता तो ऐसे हैं जो हर चुनाव में रूठ कर बैठ जाते हैं। फिर प्रदेश स्तर के नेताओं को उनके घर ले जाकर मनाया जाता है, कुछ आश्वासन भी दिये जाते हैं। ऐसा ही कुछ गाजियाबाद शहर के साथ ही मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र में भी हो रहा है। साहिबाबाद एवं लोनी भी पीछे नहीं है। जब पांच सीटें हो तो मुरादनगर वाले कैसे पीछे रह जायेंगे। अब प्रत्याशी के साथ ही संगठन के पदाधिकारी एवं साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं का इंतजार हो रहा है जो उनकी मिजाजपुर्सी करने जायेंगे। लेकिन रूठने एवं मनाने का यह सिलसिला कुछ नेताओं के खिलाफ भी जा रहा है। पार्टी के ही लोग कहने लगते हैं हर चुनाव में टिकट मांगो, न मिले तो रूठ जाओ और फिर मनाओ। यह उन लोगों की शिकायत पुस्तिका में नोट हो जाता है। विरोधी ऐसे लोगों के मुद्दे भी खूब उठाते हैं। लेकिन रूठने- मनाने के इस सिलसिले में समय जाया हो रहा है। ऐसे लोगों की शिकायत भी हो रही है। लेकिन यह लोग समझ ही नहीं रहे हैं।