किस पार्टी को वोट देने पर अधिक संख्या में बनेंगे जाट विधायक!
विधानसभा चुनावों में इन दिनों जाट लैंड में जाटों को लेकर चर्चा अधिक हो रही है। जाटों में चर्चा यह है कि किसे वोट दिया जाये। ऐसे ही चार जाट नेता आपस में चर्चा कर रहे थे। जमकर वाद विवाद चल रहा था। इसी दौरान एक नेता ने कहा सीधा गणित है यह देखो कि कौन सी पार्टी ने अधिक संख्या में जाटों को टिकट दिया है। इस पर भाजपा समर्थक एक जाट नेता तत्काल बोलता है यदि भाजपा को वोट देंगे तो 21 जाट विधायक बनेंगे और गठबंधन को वोट दोगे तो तीन। यह सुनते ही हिसाब लगाने के बाद सभी एक सुर में कहने लगे बात तो ठीक कह रहे हो भाई।
… तो जीतने वाले प्रत्याशियों के नामांकन हुए हैं खारिज
जिला निर्वाचन कार्यालय से सोमवार को 18 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र निरस्त कर दिए गए। जिससे उन लोगों को बेहद झटका लगा, जो चुनाव को लेकर अपना पूरा मन बना चुके थे। सभी नामांकन पत्र कागजी कार्रवाई पूरी न होने की वजह से खारिज किए हुए। हालांकि कुछ लोग नामांकन खारिज करने की आशंका पहले ही जता चुके थे, लेकिन उनका नामांकन खारिज नहीं हुआ। चुनावी प्रक्रिया की इस कार्रवाई पर एक प्रमुख पार्टी के नेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रशासन ने उन प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त किए हैं, जिनकी जीतने की संभावना सबसे ज्यादा थी। हालांकि यह बात अलग है कि ईवीएम मशीन में 16 के आंकड़े से बचने के लिए इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
नाम बड़े और दर्शन छोटे!
चुनाव में कार्यकर्ता और उनके नखरे अलग ही देखे जा सकते हैं। यही नहीं कल तक जो पदाधिकारी थे अब उन्हें कार्यक्रम में बुलाया जा रहा है तो कुछ नखरो के साथ देर से पहुंच रहे हैं महानगर के पुराने पदाधिकारी। ऐसा ही कुछ हाथ वाली पार्टी के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर देखा गया जहां अपना महत्व समझाने के लिए कुछ कार्यकर्ता पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के पश्चात पहुंचे और बातें ऐसी थी कि जैसे पूरे संगठन की जिम्मेदारी उन पर ही है। यही नहीं प्रत्याशी नहीं पार्टी का निशान ही उनकी प्राथमिकता है। इसे तो यही कहा जाएगा नाम बड़े और दर्शन छोटे!