Dainik Athah

अखिलेश की माफियापरस्ती और फरेब का करारा जवाब देने को तैयार है यूपी की जनता : केशव प्रसाद मौर्य

5 साल तक घर में बैठकर राजनीति करने वाले अखिलेश यादव जनता के बीच जाते तो उन्हें धरातल की जानकारी होती

पांच साल तक केवल अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का गिरोह तैयार करते रहे अखिलेश: केशव प्रसाद मौर्य

सपा गठबंधन में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट: केशव प्रसाद मौर्य

मां भारती का विरोध करने वालों को चुनाव में उतारकर अपने कुत्सित इरादों को सपा ने फिर कर दिया जाहिर : केशव प्रसाद मौर्य

अथाह ब्यूरो,
लखनऊ।
समाजवादी पार्टी की ओर से जनता को दिखाए जा रहे झूठे सपने और किये जा रहे फरेबी वादों पर पलटवार करते हुए यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव की माफियापरस्ती और झूठे वादों का जनता करारा जवाब देने को तैयार बैठी है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया को चुनौती देते हुए कहा कि भ्रष्टाचारियों और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को सत्त में आने का न्योता देने वाली समाजवादी पार्टी इस बार विधानसभा चुनावों में 27 सीटों को तरस जाएगी।

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि चुनाव के वक्त माफियाओं और अपराधियों का गिरोह तैयार करने के बजाय अखलेश यादव अगर पांच साल जनता के बीच जाते और उनके सुख-दुख में शामिल होते। तो उन्हें धरातल की जानकारी होती। भाजपा सरकार में हुए विकास कार्य उनकी जुबान पर होते। रोजगार, व्यापार, स्वास्थ्य, किसानों के विकास के साथ पिछड़ों व गरीबों के हित में चल रही योजनाओं की उन्हें जानकारी होती। वो तो पांच साल तक केवल अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की लिस्ट ही तैयार करते रह गये।

मौर्य ने कहा कि सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी और तुष्टीकरण की पौध लगाने वाले अखिलेश यादव ने मां भारती का विरोध करने वालों को चुनाव में उतारकर अपने कुत्सित इरादों को फिर जाहिर कर दिया है। अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी की जनता ने उन्हें पिछली बार 47 सीटों पर समेटा था इस बार अखिलेश के गिरोह को 27 का आंकड़ा भी पार करना मुश्किल होगा।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट है। उन्होंने कहा कि जिस तरह के पेशेवर अपराधियों और माफियाओं को सपा ने अपनी सूची में टिकट दिये हैं, वो राज्य की जनता देख रही है। भाजपा ने जहां विकास, सुशासन और राष्ट्रवाद को चुनाव के लिए एजेंडा के रूप में प्राथमिकता दी है। वहीं समाजवाद का डंका पीटने वाली सपा में वंशवाद और पारिवारिक राजनीति को हमेशा बढ़ावा दिया है। जनता से ज्यादा केवल और केवल अपने परिवार के लिए सोचा है।

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