Dainik Athah

राग दरबारी

ना खुदा ही मिला, ना बिसाले सनम, ना इधर के रहे, ना…

राजनीति में जरूरी नहीं कि फेंके हुए सारे पत्ते ही सही पड़े। कुछ ऐसा ही हुआ है पिछले दिनों हाथी की सवारी छोड़कर साइकिल की सवारी करने वाले नेताओं के साथ। दरअसल हाथी वाली पार्टी में एक लंबे समय से मेहनत कर रहे नेता एवं पूर्व पार्षद और उनके साथ कुछ अन्य पदाधिकारियों ने जाकर साइकिल का हैंडल थाम लिया। लेकिन उनके साथ कुछ इस तरह हुआ कि न खुदा ही मिला, न विसाले सनम, ना इधर के रहे, ना उधर के रहे। मेंबर साहब शहर विधानसभा सीट से टिकट की आस लेकर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें दरकिनार करके दलित समाज के ही दूसरे शख्स को उम्मीदवार बना दिया गया। जिससे उन्हें गहरा झटका लगा।

बसपा में जाने के बाद भी प्रोफाइल पर लिखा है भाजपा…

भाजपा को छोड़कर गाजियाबाद विधानसभा में केके शुक्ला बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए उनके साथ भाजपा पार्षद कृपाल सिंह भी बसपा में शामिल हुए। कृपाल सिंह पार्षद भले ही बसपा में शामिल हो गए हो और फेसबुक पर ‘लाइनपार के सम्मान में केके शुक्ला मैदान में, बहुजन समाज पार्टी जिंदाबाद’ लिखकर पोस्ट डाल रहे हो किंतु प्रोफाइल पर अब भी कृपाल सिंह पार्षद भाजपा के लिखा हुआ है। मंगलवार की सुबह जहां चर्चा थी, दोपहर को पुख्ता हो गई और शाम को फिर भी कृपाल सिंह पार्षद की फेसबुक पर प्रोफाइल में भाजपा लिखा रहा।

….दरबारी लाल

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