सपा प्रमुख अखिलेश ने सहयोगी दलों के साथ बैठक, बनाई रणनीति
सपा गठबंधन के कार्यकर्ता हर दरवाजे जायेंगे, वोट का करेंगे आग्रह
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार सहयोगी दलों के शीर्ष नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बैठक समाजवादी पार्टी जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में की जिसमें उत्तर प्रदेश के विकास और भविष्य पर चर्चा के साथ चुनावी रणनीति पर भी विचार विमर्श हुआ।
बुधवार की बैठक में शिवपाल सिंह यादव तथा आदित्य यादव (प्रसपा) ओमप्रकाश राजभर (सुभासपा), मसूद अहमद (रालोद) संजय चौहान (जनवादी पार्टी ‘सोशलिस्ट’) केशव देव मौर्य (महान दल) कृष्णा पटेल (अपना दल कमेरावादी) एवं केके शर्मा (एनसीपी) शामिल थे।
बैठक में किसानों की खुशहाली, नौजवानों को रोजगार, महंगाई पर रोक, स्वास्थ्य सेवाओं एवं शिक्षा व्यवस्था में सुधार, कानून व्यवस्था में सुधार, व्यापारियों की सुरक्षा, स्वच्छ शुद्ध पेयजल, गरीबों को पेंशन, महिलाओं का सम्मान, उद्योग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर में विस्तार, नदियों की सफाई और विकास के अन्य आयामों पर भी सार्थक विचार सामने आए। बैठक में यह भी फैसला हुआ कि मतदाताओं से सीधा सम्पर्क कर कार्यकर्ता हर दरवाजे पर जाकर गठबंधन की सरकार बनाने का आग्रह करेंगे। जनता के साथ सीधा संवाद कायम होगा।
अखिलेश यादव ने इस अवसर पर कहा कि लोकतांत्रिक, समाजवादी और सामाजिक सद्भाव की पक्षधर ताकतों को एक साथ जोड़ रहे हैं। राज्य की जनता भाजपा से ऊब चुकी है। गठबंधन विकास, सद्भाव और न्याय के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा की बांटने और अपमान करने वाली राजनीति के खिलाफ सबको सम्मान देने वाली राजनीति का इंकलाब होगा।
यादव ने कहा कि 2022 में राजनीति की बड़ी लड़ाई लड़ी जानी है। यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है। सामाजिक न्याय की पक्षधरता के साथ आरक्षण विरोधी ताकतों का प्रतिरोध करना है। उन्होंने कहा भाजपा ने किसानों को धोखा दिया है। 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। तीन काले कृषि कानूनों को जनमत के दबाव में वापस लेने के बावजूद भाजपा की नीयत में अभी भी खोट है। नौजवानों को भाजपा ने बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में लिखे एक भी वादा को पूरा नहीं किया है।
सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा का एजेंडा कुछ ऐसा है कि जनता के हित में कोई काम न होने पाए। भाजपा ने प्रदेश में विकास, कानून व्यवस्था और इलाज-पढ़ाई की तबाही की हैं। जनता उसके खिलाफ अब 2022 के चुनाव में अपना फैसला सुनाएगी और समाजवादियों एवं अम्बेडकरवादियों को ही चुनेगी।