Dainik Athah

उत्तर प्रदेश में बज चुका है चुनावी बिगुल- भाजपा को बड़ी चुनौती दे सकते है सपा के छोटे सियासी दल

सीटों का फार्मूला तय करने में सपा को लग रहा है समय

गठबंधन के बड़े शेयर होल्डर होंगे आरएलडी और सुहेलदेव पार्टी

प्रदीप वर्मा
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है और पार्टी अपने उम्मीदवारों की स्कूटनी में लगी हुई है। लेकिन इन सबके बीच जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है सपा गठबंधन। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे लगभग सभी दलों से गठबंधन कर लिया है। अखिलेश के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी अखिलेश को अपना नेता मानते हुए साथ में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। छोटे दलों के एक साथ बटोरने के बाद सपा फिलहाल इन चुनावों में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है। हालांकि गठबंधन दलों के साथ सपा का सीटों का फार्मूला अभी फाइनल नहीं हो पाया है, लेकिन सूत्रों से खबर है कि सपा 355 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि 48 सीटें साथी दलों के लिए छोड़ सकती है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी सियासी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। यूपी चुनाव को लेकर अखिलेश यादव ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। गठबंधन के सहारे अखिलेश इस बार अपनी नौका पार कराने की कोशिश में जुटे हैं। फर्क इतना है कि इस बार उन्होंने कांग्रेस को किनारे कर दिया है और ना ही वह हाथी की सवारी के मूड़ में है। अखिलेश ने अब तक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, जनवादी पार्टी, आरएलएडी और अपना दल (कमेरावादी) के साथ गठबंधन किया है। दरअसल, अखिलेश यादव गठबंधन की ताकत के जरिए बीजेपी को इस बार सत्ता से दूर रखने की कोशिश में हैं और इसीलिए छोटे-छोटे दलों को उन्होंने अपना साथी बना लिया है। हालांकि इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि अब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से कितनी सीट बांटेंगे और कितनी सीट पर लड़ेंगे?

इस सवाल पर अभी तक अखिलेश यादव ने अपने पत्ते नहीं खोले है, लेकिन तस्वीरें धीरे-धीरे साफ हो रही हैं और सारे सवालों के जवाब सामने आ रहे हैं। ऐसी खबर है कि समाजवादी पार्टी 403 सीटों में से करीब 355 सीटों पर लड़ सकती है। इसके बाद बची 48 सीटें गठबंधन के सहयोगी दलों को दी जा सकती है। हालांकि इसको लेकर अधिकारिक घोषणा नहीं है, लेकिन पूर्वांचल से पश्चिमी यूपी तक छोटे दलों से गठबंधन करते वक्त अखिलेश यादव ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखा है। इसके लिए पार्टियों की क्षेत्रीय ताकत और जातीय वोटों पर पकड़ का आंकलन भी समाजवादी पार्टी कर रही है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन में आरएलडी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की भूमिका बाकी दलों से बड़ी होगी।

आरएलडी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी गठबंधन में बड़े शेयर होल्डर होंगे। आरएलडी को 25 से 30 सीटें मिलने का अनुमान है। अगर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 2017 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली थी, इसलिए ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को भी दहाई अंकों में सीट मिल सकती है। बाकी छोटे दलों को सिंगल डिजिट में सीटें मिलने का अनुमान है। सूत्र बताते है कि कुछ सहयोगी दल के उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते है,  तो कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सहयोगी दलों के सिंबल पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। सपा की नजर पूर्वी यूपी में कुर्मी, कुशवाहा, राजभर वोटरों पर नजर है, तो पश्चिमी यूपी में अखिलेश की निगाहें जाटलैंड पर हैं। ऐसे में सपा की रणनीति को देखते हुए इस बार का चुनाव भाजपा के लिए कड़ी चुनौती देने वाला हो सकता है। 

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