बड़ा सवाल- एक को लाभ देने के लिए क्या बदल सकते हैं जिले की सीटों के समीकरण
सबसे पहले दैनिक अथाह ने ही दो माह पूर्व किया था इशारा
भाजपा में जिले से लेकर राष्ट्र तक उठ रहे सवाल
धौलाना के साथ ही सुल्तानपुर जिले की किसी सीट से भी चल रहा है नाम
अशोक ओझा
गाजियाबाद। ईडी के संयुक्त निदेशक एवं पीपीएस अधिकारी राजेश्वर सिंह प्रदेश की किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे यह तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन इस एक नाम ने जिले में भाजपा की राजनीति में तूफान अवश्य खड़ा कर दिया है। हालांकि एक सीट के चलते पूरे जिले की सीटों का जातीय गणित भाजपा बदलकर कोई रिस्क लेगी यह संभव नजर नहीं आता।
बता दें कि
शनिवार को ईडी के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह ने स्वैच्छेकि सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया। समाचार लिखे जाने तक भी उनके भाजपा में शामिल होने की खबरों की पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक उनके नाम को लेकर तूफान जैसी स्थिति देखने को मिल रही है।
वीआरएस लेने के साथ ही चर्चा शुरू हुई कि राजेश्वर सिंह भाजपा के टिकट पर साहिबाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगे। जबकि साहिबाबाद सीट पर अब तक ब्राह्मण चेहरे के रूप में भाजपा वर्तमान विधायक सुनील शर्मा को टिकट देती रही है। 2012 के चुनाव में भी इस सीट से बसपा के टिकट पर अमरपाल शर्मा विजयी हुए थे। जबकि गाजियाबाद शहर से वैश्य, मुरादनगर से त्यागी, मोदीनगर से महिला जाट एवं लोनी से गुर्जर विधायक है।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिले की आंशिक एवं हापुड़ जिले की धौलाना सीट से ठाकुर को टिकट मिलेगा इसमें कोई शक नहीं है। साहिबाबाद से लगी हुई नोएडा सीट से भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह विधायक है, जेवर सीट पर भी ठाकुर विधायक है। इस स्थिति में भाजपा क्या साहिबाबाद सीट ठाकुर को देगी यह बड़ा सवाल है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार यदि साहिबाबाद सीट पर ठाकुर को टिकट दिया जाता है लोनी को छोड़कर जिले की सभी सीटों के समीकरण बदल सकते हैं। लोनी का समीकरण भी बदल जाये तो कोई बड़ी बात नहीं। अब जबकि भाजपा का चुनाव में सीधा मुकाबला सपा- रालोद गठबंधन से है ऐसी स्थिति में भाजपा एक भी सीट खोने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। इतना ही नहीं ब्राह्मण सीट पर ठाकुर को टिकट देकर पूर्वांचल का ठाकुर- ब्राह्मण विवाद भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक नहीं आने देना चाहेगी।
अब यदि राजेश्वर सिंह के लिए अन्य सीटों की चर्चा है तो उसमें मुख्य रूप से धौलाना सीट का नाम भी आ रहा है। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा राजेश्वर सिंह को सुल्तानपुर जिले की किसी सुरक्षित सीट से भी चुनाव में उतार सकती है। इसका कारण यह है कि सुल्तानपुर राजेश्वर सिंह का गृह जिला है।
राजेश्वर सिंह खुद पीपीएस अधिकारी है, लेकिन उनकी पत्नी, बहनाई प्रदेश में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी है। उनके पिता भी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे।
अब जिले में क्या होगा यह तो अगले एक सप्ताह में ही स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन टिकट घोषित होने तक भाजपा के जिले के नेताओं की धड़कन बढ़ती रहेगी।