बुधवार को शहर विधानसभा क्षेत्र के डूंडाहैड़ा में अस्पताल का शिलान्यास हो गया। लेकिन शिलान्यास से पहले ही पत्थर को लेकर भाजपा में विवाद शुरू हो गया। विवाद था कि पत्थर पर स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के साथ ही महापौर का नाम नहीं था। शिलान्यास भी प्रदेश के मुखिया के हाथों हुआ। दैनिक अथाह में खबर प्रकाशित हुई तो सांसद जी फिर से जनरल बन गये। उन्होंने संबंधित अफसरों को आड़े हाथों लिया। फिर क्या था शिलान्यास से पहले ही पत्थर बदल गया। पत्थर बदला तो जनरल के साथ ही महापौर का नाम उसके ऊपर चमकने लगा।
लेकिन अब भाजपा के साथ ही गाजियाबाद शहर विधानसभा क्षेत्र के लोग इसको लेकर मंथन करने में जुट गये हैं कि क्या यह जानबूझकर हुआ। यदि जानबूझकर हुआ तो यह करने वाला कौन था। उसका मकसद क्या विवाद उत्पन्न करना था। यह भी बताया गया कि पत्थर भाजपा के ही एक पार्षद के घर पर रखा हुआ था। लेकिन फोटो दैनिक अथाह तक पहुंच गई। यह स्थिति तब है जबकि जिले के अफसरों को पता है कि जनरल साहब का नाम नहीं हटाया जा सकता। अब यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि कोई आग में घी डालने का काम कर रहा है। यह घी डालने वाले ने ही पत्थर भी तैयार करवाया। यदि मामला सुर्खियों में नहीं आता तो शिलान्यास के दौरान उसी पत्थर को लगाया जाता। इसी कड़ी में सीएमओ साहब के साथ ही कई अफसर लपेटे में आ गये। लेकिन मामला सुलट गया। लेकिन इस घटना ने दो जन प्रतिनिधियों के बीच की दूरियों को बढ़ाने का ही काम किया है। यह दूरी बढ़नी भी उचित नहीं लगती। आखिर समय चुनाव का है।