… तो क्या नये सीएस के बाद लोक भवन बदलेंगे समीकरण
नये वर्ष में पंचम तल में नये सीएस (मुख्य सचिव) की नियुक्ति हुई। उन्होंने अपने कार्यालय लोकभवन में बैठना भी शुरू कर दिया। नये सीएस की बहनजी की सरकार में भी तूती बोलती थी। अब मिश्रा जी के आने के बाद से लोकभवन के उन अफसरों के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही है जो अब तक मक्खी भी अपने सिर पर नहीं बैठने दे रहे थे। दरबारी लाल को पता चला कि अब ये अफसर मिश्रा जी की जी हुजूरी के मौके तलाश रहे हैं। लेकिन पंडित जी अभी किसी को भाव देने के मूड में नहीं है। उनका ध्येय मुख्य रूप से उन कामों पर जिनके लिए दिल्ली से उन्हें हवाई जहाज के जरिये भेजा गया है। माना जा रहा है कि चुनाव की घोषणा से पहले कई बड़ों के पर कतरे जा सकते हैं। बस इंतजार है कि यह काम कब तक होता है।
…नेताजी जरा संभलकर, ये पार्टी अनुशासन वाली है
देश की सबसे बड़ी पार्टी में अनुशासन का दम भरा जाता है और अनुशासन ही फूल वाली पार्टी की रीढ़ भी है। लेकिन चुनावी समर में कमल का साथ पाने के लिए होड़ सी लगी है, इसलिए दूसरे दलों से भी कुछ जाने, तो कुछ अनजाने चेहरे भगवा हो रहे है। लेकिन ताज्जुब की बात दरबारी लाल के सामने तब आई, जब कुछ दिन पहले ही पार्टी से जुड़े एक राजनीतिक ने अन्य दलों के लोगों को सदस्यता ग्रहण कराई। इन महानुभाव के पास अभी न तो पार्टी की ओर से कोई जिम्मेदारी है और न ही उन्हें ऐसा कोई दिशा-निर्देश है कि उन्हें किसी को भी सदस्यता दिलाने का अधिकार सौंप दिया हो। अब तक फ्री होल्ड काम करने वाले नेताजी शायद यह भूल गए है कि यहां अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता, हर काम के लिए ऊपर से दिशा-निर्देंश लेने पड़ते है।