Dainik Athah

राग दरबारी

… गांव बसा नहीं, मांगने वाले पहले आ गये

चुनाव के दौरान कुछ चंदाखोर नेताओं की फेहरिस्त जिले के धन कुबेरों ने बना रखी है। ऐसे ही एक नेताजी इन दिनों लोगों से चुनावी चंदा मांगने में जुट गये हैं। किसी से पैसा, किसी से गाड़ी तो किसी से अन्य प्रकार के सहयोग की मांग रखी जाने लगी है। दरबारी लाल को पता चला है कि अभी तक नेताजी का यह भी तय नहीं है कि चुनाव किस पार्टी से लड़ेंगे। लेकिन चंदाखोरी शुरू हो गई है। ऐसे ही पैसे वाले से मांग की गई तो चाय पर चर्चा के दौरान दरबारी लाल से अपना दुखड़ा सुना दिया। कहने लगे नेताजी तो चुनाव की घोषणा से पहले ही खर्च एकत्र करने लगे हैं। इस पर एक अन्य ने टिप्पणी की कि गांव बसा नहीं मांगने वाले पहले आ गये।

लड़ाई हुई दावेदारों में, चटखारे ले रहे हैं कार्यकर्ता

देश की सबसे अनुशासित कहे जाने वाली पार्टी में इन दिनों माहौल गरम है। कुछ तो चुनावी आहट की गरमी। कुछ दावेदारों की गरमी। रही सही कसर पूरी कर दी शहर के सबसे बड़े मेगा शो ने। जिसमें टिकट के दो दावेदार आपस में भिड़ गए। दोनों के बीच जमकर गाली-गलौज हुई और दोनों ही कार्यकतार्ओं के सामने तमाशा बन गए। दरबारी लाल के कान में दोनों के बीच बोले गए श्लोक की आवाज पहुंची। सवाल ये था कि दोनों ही दावेदार अलग-अलग विधानसभाओं से टिकट मांग रहे है, ऐसे में माहौल क्यों गरमाया, इसकी उत्सुकता हुई। पड़ताल करने पर मालूम चला कि मामला वर्चस्व को लेकर था। यानि शक्ति प्रदर्शन में कौन-किस पर भारी पड़े। इसके लिए शहर के नामचीन तिराहे पर एक पक्ष ने मंच को सड़क पर आगे बढ़ाकर लगा लिया। दूसरे दावेदार का मंच आगे सड़क खत्म होते ही टक्कर पर था। लेकिन दिक्कत ये थी कि पहले लगे मंच की वजह से उनका मंच दब गया था। प्रदेश पदाधिकारी महोदय को ये बात खल गई तो वह एसडीएम को साथ लेकर दूसरे दावेदार की चौखट पर जा धमके। बस फिर क्या था। बात इज्जत-बेज्जती की थी। दोनों आपस में भिड़ गए। दोनों तरफ से जुबानी खर्च हुआ और वापस लौट गए। लेकिन कार्यकतार्ओं को चटखारे लेने के लिए मसाला जरूर मिल गया।

…दरबारी लाल

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