…तो झोपड़ी कहीं ना बन जाए प्रशासन का सिर दर्द
भारतीय किसान यूनियन के एक कद्दावर नेता की झोपड़ी कहीं पुलिस व प्रशासन के लिए सिरदर्द न बन जाए। गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 1 वर्ष से किसान डेरा डाले हुए थे। वहीं पर एक बड़े किसान नेता की झोपड़ी भी थी। उन्हें झोपड़ी से कितना प्यार है, यह इस बात से पता लगता है कि वह झोपड़ी को अपने गांव ले जाना चाहते थे, लेकिन गुरुवार को जब नेताजी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे तो उनकी झोपड़ी गायब। यह देख कर नेता जी बहुत परेशान हुए। अब नेताजी आंदोलन स्थगित होने के बावजूद गाजीपुर बॉर्डर पर आते रहेंगे, लेकिन उनकी झोपड़ी व उससे प्यार प्रशासन के गले में न पड़ जाए। वह कभी भी कह सकते हैं कि मेरी जो झोपड़ी ढूंढ कर लाओ। इस घटना के बाद से पुलिस प्रशासन के अधिकारी परेशान है।
महिला कार्यकर्ता सम्मान राशि के लिए परेशान
चुनाव गर्माहट जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे वैसे कार्यकर्ताओं की सक्रियता भी पार्टी और अन्य कार्यक्रमों में देखी जा रही है। ऐसे ही एक कार्यक्रम के बाद महिला अध्यक्ष ने पार्टी के जिलाध्यक्ष से शिकायत की कि पार्टी के कामों में महिलाओं को एकत्रित करना और उनको ले जाना कितना मेहनत का काम है और ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशी यदि हमें सौ रुपए और दूसरी महिलाओं को सीधे ही पांच सौ रुपए दे देंगे तो तालमेल में कमी आएगी। पीड़ा यह थी कि महिला अध्यक्ष के साथ जो महिलाएं कार्यक्रम में जाती हैं उन्हें तो मात्र सौ दिए जा रहे हैं, जबकि सीधे कोई महिला संभावित प्रत्याशी के कार्यक्रम में जा रही है तो उसे पांच सौ दे रहे हैं। ऐसे में महिला कार्यकर्ताओं में तालमेल में कमी आ सकती है। उत्तर प्रदेश में विपक्ष की बड़ी भूमिका निभा रही यह पार्टी गठबंधन कर पार्टियों को जोड़ रही है, वही अपनी पार्टी में महिला कार्यकर्ता सम्मान राशि के लिए परेशान हैं।