नाम, नमक, निशान, इज्जत एवं वफादारी ये ध्येय वाक्स देश के जांबाज जवानों को हमेशा याद रहेंगे। यह ध्येय वाक्य देश के पहले सीडीएस (चीफ आॅफ डिफेंस स्टॉफ) जनरल विपिन रावत के हैं जो वे समय समय पर देश के सैनिकों को देते थे। विपिन रावत केवल एक सैनिक अधिकारी नहीं थे। रावत देश के उन जांबाज सैनिक अधिकारियों में थे जिन्होंने पूरा जीवन देश सेवा में लगा दिया। सेवा निवृत्ति के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीडीएस का पद सृजित किया तब इस पद के लिए जनरल विपिन रावत उन्हें सबसे योग्य व्यक्ति लगे। वे प्रधानमंत्री के साथ ही देश की उम्मीदों पर खरे भी उतरे। चाहे वह छुपकर वार करने वाले चीन से मुकाबले का मामला हो, पाकिस्तान में घुसकर हमला करना हो, कश्मीर में आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने का मामला हो उनके हर कदम सही समय पर उठे तथा देश का सिर उन्होंने कभी झुकने नहीं दिया। तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल कैसे रखा जाये यह भी उन्होंने कर दिखाया। जनरल विपिन रावत को सीमाओं पर लड़ने का पूर्ण तर्जूबा था। इसके साथ ही वे पूर्वात्तर में भी काम कर चुके थे। हैलीकाप्टर दुर्घटना में जनरल विपिन रावत समेत देश ने एक दर्जन से ज्यादा जांबाज सैनिक अधिकारियों को खो दिया। उनकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। पूरे देश को उनकी मृत्यु से धक्का पहुंचा है। ऐसे महान देशभक्त के असमय जाने से पूरा देश गम में डूबा है। ऐसा लगता है जैसे हर परिवार ने अपने घर का एक सदस्य खो दिया हो। धन्य है उत्तराखंड की वह धरती जिसने इस महान देशभक्त को जन्म दिया। दैनिक अथाह परिवार देश के इस महान सपूत को नमन करता है। जय हिंद