… मुझे तो सौ बार ऊठक बैठक करवा दी, लेकिन …
बात फूल वाली पार्टी की है। पिछले दिनों मोदीनगर में एक खेल कार्यक्रम में पार्टी के सांसद समेत सभी प्रमुख लोग मौजूद थे। इनमें जिलाध्यक्ष भी शामिल है। इस दौरान सांसद महोदय का फूल मालाओं से खूब स्वागत हुआ। लेकिन पता नहीं कार्यक्रम संचालक की भूल थी अथवा जानबूझकर किया गया। पार्टी के जिलाध्यक्ष का स्वागत ही नहीं करवाया गया। सांसद महोदय देश की आर्थिक राजधानी के पूर्व पुलिस मुखिया है। अंत में वे खड़े हुए और बोले मुझे तो सौ बार ऊठक बैठक करवा दी है, लेकिन जिलाध्यक्ष से एक बार भी नहीं। यह कहते हुए उन्होंने खुद जिलाध्यक्ष का बुके भेंट कर स्वागत किया। अब चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या संचालक महोदय ने जान बूझकर ऐसा किया। लेकिन जिलाध्यक्ष तो पार्टी में जिले में सर्वेसर्वा होते हैं। अब लोग नमक मिर्च लगाकर अध्यक्षजी के कान भर रहे हैं।
…तो इसलिए सदन में हो गया खेल बखेड़ा
वैसे तो नगर निगम की बोर्ड में विकास कार्यों को लेकर चर्चा रहती है। लेकिन फिलहाल छोटा सदन राजनीति का अखाड़ा बन गया है। 27 नवंबर को हुई बोर्ड बैठक में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सदन में महिला पार्षद ने सड़क की पटरी पर दुकानें बनाकर किराए पर देने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का उन्हीं की पार्टी के एक नामित पार्षद ने जमकर विरोध किया और इस प्रस्ताव की आड़ में निगम की जमीन को घेरने की साजिश बताया। जिसके चलते प्रस्ताव गिर गया। अब इस सारे हंगामे के पीछे की कहानी दरबारी लाल की जुबानी सुनिए। दरअसल शहर के एक वार्ड में सड़क की पटरी पर कंटीले तारों की फेंसिंग का काम नगर निगम ने कराया था। इस फेंसिंग का उद्देश्य निगम की पटरी को अतिक्रमण से बचाने का था। लेकिन महिला पार्षद की शह पर कुछ हिस्से को छोड़ दिया गया, क्योंकि उस हिस्से में बिल्डिंग मैटेरियल का सामान डालकर अतिक्रमण किया गया था। इसके पीछे भी बड़ा लालच था। मैडम पार्षद ने रोड़ी-बदरपुर वाले से ठीया दिलाने के नाम लाखों रुपए ऐंठ लिए थे और इसका पता नामित पार्षद को चल गया, इसलिए खेल बखेड़ा हो गया।