… जब कपड़े सिलने वाले किसान मोर्चा
फूल वाली पार्टी के जिला किसान मोर्चा ने पिछले दिनों लोनी में ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया । इस ट्रैक्टर रैली की चर्चाएं अब ‘ जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं में आम हो चली है । भाजपा के लोग ही एक- दूसरे से कह रहे हैं कि यदि एक दर्जन ट्रैक्टरों की रैली ही निकालनी थी एवं दम नहीं था तो जग हंसाई करने की आवश्यकता क्या थी । वह भी लोनी में जहां के विधायक जी हर समय चर्चाओं में रहते हैं । इसके साथ ही सबसे अधिक नेता भी लोनी में पाये जाते हैं । इस पर किसी मनचले ने टिप्पणी की जब कपड़े की सिलाई करने वाले किसान मोर्चा के मुखिया बनेंगे तब उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है । इसके बाद तो भाजपाइयों की हंसी ही नहीं रूक रही थी ।
… और नेताजी समझ गए कौन कितने पानी में है
देश की सबसे बड़ी पार्टी ने कार्यकर्ता को व्यस्त रखने के लिए कार्यक्रमों की झड़ी लगाकर रख रखी है । पदाधिकारी अपने निजी काम भी नहीं कर पा रहे है , लेकिन इसके बाद कुछ लोग ऐसे है , जो केवल एक ही काम कर रहे है और वह काम है एक – दूसरे की चुगली । ऐसी ही शिकायत पर स्पष्टीकरण के लिए प्रदेश पदाधिकारी व प्रभारी नेता जी ने एक मंडल प्रभारी को बुलाया और कहा कि आपकी बड़ी शिकायतें मिल रही हैं । इस पर मंडल अध्यक्ष ने भी तुरंत जवाब दिया कि नेताजी खाली बैठे हुए लोग शिकायत ही करेंगे , क्योंकि उनका काम तो हमें करना पड़ रहा है । इस पर नेताजी चौंक गए और पूछा कि क्या आप जानते हो , मैं किसकी बात कर रहा हूं । मंडल अध्यक्ष ने दो पार्षदों का नाम बताते हुए कहा कि इन्होंने अभी तक पन्ना प्रमुख तक तैयार नहीं किए हैं , बूथ की सूची भी संगठन को तैयार करनी पड़ रही है । ये खाली बैठे शिकायत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे । कोई काम करेगा तो उसकी चुगली करेंगे । जवाब सुनकर नेताजी को भी समझ आ गया कि कौन – कितने पानी में है ?
…. रालोद में चार दिन की चांदनी
नल वाली पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा । जितने नेता है उतने ही गुट । साढ़े चार माह पूर्व एक नेताजी को जोरशोर से जिले के मुखिया की जिम्मेदारी दी गई थी । लेकिन किसी पद पर काम न करने वाले को बड़ी जिम्मेदारी मिल जाये तो फिर पांव जमीं पर कहां टिकते हैं । ऐसा ही हुआ मुखिया जी ने एक डंडे से सबको हांकना शुरू कर दिया । लेकिन वे यह भूल गये कि इस पार्टी में चौधराहट हर किसी की नहीं चलती । पुराने चौधरियों से पंगा लेना भारी भी पड़ सकता है । फिर क्या था पुराने चौधरियों ने साढ़े चार माह में ही जो पटखनी दी उसे मुखिया जी कभी भूल नहीं पायेंगे । एक चौधरी बताते हैं रैली का हिसाब तक भाई ने नहीं किया। अब हिसाब कब होगा यह तो पता नहीं ।