सोमवार को सामूहिक विवाह योजना के तहत जिले में 2306 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। इन जोड़ों में हिंदू जोड़ों के साथ ही मुस्लिम एवं बौद्ध जोड़े भी शामिल थे। लेकिन सबसे बड़ी संख्या हिंदू जोड़ों की थी। अब जिले में सामूहिक विवाह समारोहों को लेकर एक नयी चर्चा छिड़ गई है। वह यह कि हिंदू समाज में विवाह समारोह के लिए पंडित जी लड़का- लड़की के नाम एवं जन्म पत्री के आधार पर मुहूर्त निकालते हैं। लेकिन यहां तो किसी का मुहूर्त नहीं निकाला गया। ऐसे में यह विवाह कितना प्रासंगिक होगा एवं कितनी सफल होगी। इसके बीच एक तथ्य महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही जिस प्रकार विवाह समारोह में रस्म एवं फेरे होते हैं वे क्या हुए। लेकिन तर्क यह भी दिया जा रहा है कि इसी दिन देवात्थान एकादशी थी। एकादशी भी इस बार दो दिन थी। बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जो सूर्योदय के दिन जो तिथि होती है उसे मानते हैं। यह विवाह के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसे अबूझ साया भी कहते हैं। इस कारण मुहूर्त की आवश्यकता नहीं रह जाती। इस समारोह में शामिल होने वाले अधिकांश जोड़ों के साथ एक तथ्य और जुड़ा है कि इनमें से अधिकांश का या तो कुछ समय पूर्व विवाह हुआ है या फिर वे मुहूर्त के अनुसार सात फेरे लेंगे। लेकिन सामूहिक विवाह ने हिंदू समाज में एक नयी बहस अवश्य छेड़ दी है। चर्चा चाहे कुछ भी हो लेकिन प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल नहीं खड़े किये जा सकते। सरकार एवं मुख्यमंत्री का मकसद सामूहिक विवाह के जरिये दहेज रहित विवाह एवं वह भी बगैर खर्च करवाना है। इसकी तारीफ की जानी चाहिये। यह सराहनीय कदम है, मुख्यमंत्री इसके लिए बधाई के पात्र है।