… पूर्व विधायक की चिंता- जायें तो जायें कहां
अभी कुछ दिनों पूर्व ही एक पूर्व विधायक ने पंजे वाली पार्टी को छोड़कर साइकिल की सवारी शुरू की थी। इससे पहले वे हाथी पर सवार थे और विधायक भी बनें थे। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले साइकिल वाली पार्टी के साथ ही झाड़ू वालों में गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है। चर्चा है कि झाड़ू वाले दिल्ली सीमा की इस सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके लिए तैयारी भी शुरू हो गई है। यदि ऐसा हुआ तो साइकिल पर सवार पूर्व विधायक चिंतित है कि उनका क्या होगा। चर्चा है कि पूर्व विधायक वापस या तो पंजा लड़ाने की तैयारी है में अथवा हाथी की सवारी करेंगे। हालांकि अभी वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि जायें तो जायें कहां?
बड़े नेता का आगमन और पार्टी में हलचल नहीं…
कुछ समय पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी से देश की सबसे बड़ी पार्टी में एक समाज के युवा नेता ने सदस्यता ली तो उत्तर प्रदेश में एक समाज को लामबंद करने की चर्चा जोरों पर हुई। कहा गया कि अब ब्राह्मण समाज एकजुट होकर फूल वाली पार्टी के समर्थन में आ जाएगा। वहीं कई जगह इनको लेकर अलग-अलग चचार्एं भी थी, ब्राह्मण समाज के बड़े नेता के नाम से जाने जाने वाले यह नेताजी का गाजियाबाद आगमन है और उनके आगमन के लिए ना तो शहर में चर्चा है नहीं उनके कार्यक्रम के लिए तैयारी बैठक की गई है और ना ही कार्यकतार्ओं में बड़े नेता के आने का कोई उत्साह है। लगता है अभी हाथ वाली पार्टी से फूल वाली पार्टी के हुए इन नेताजी को कोई तव्वजो नहीं रहा है क्योंकि अपने तो अपने ही होते हैं और अपने नेताओं के लिए तैयारी, स्वागत व बैठक की रूपरेखा पहले से तैयार की जाती है किंतु मंगलवार को आने वाली नेता की तैयारी में कुछ भी हलचल नहीं है।
चाणक्य की नीति का सता रहा है डर
हापुड़ जिले में राजनीति के चाणक्य के नाम से पहचाने जाने वाले भाजपा के एक अहम पदाधिकारी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चचार्एं तेज हैं। पिछले कुछ सालों में ही जिले में सक्रिय होकर अहम पद पाले वाले इस उच्च शिक्षित चाणक्य का डर निश्चित रूप से उन लोगों व उनके समर्थकों में अवश्य है जो कि टिकट पाकर लखनऊ का रास्ता तलाशना चाहते हैं। हालांकि सूत्रों की मानें तो इस चाणक्य ने अपने पद को ही अहम मानकर विधानसभा टिकट नहीं मांगा है। लेकिन आम जनता का क्या करें वह तो चचार्एं कर रही है। आम लोगों को कहना है कि अगर चाणक्य को टिकट दिया गया तो कहीं ना कहीं भाजपा इस बार धौलाना विधानसभा में अपना परचम लहराने की उम्मीद को मजबूत कर सकती है। लोगों का कहना है कि चाणक्य की नीति किस करवट बैठेगी यह कहना मुश्किल है। इसी डर के चलते कुछ लोग अनर्गल चचार्एं चलाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन चाणक्य है कि वह अपनी धुन में मगन है।