… नेताजी को हर काम में श्रेय लेने की आदत जो हो गई
उत्तर प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही है तो राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में भी टिकट मांगने की होड़ चल रही है। सत्तारूढ़ पार्टी में टिकट के दावेदार कुछ अधिक है। ऐसे ही एक दावेदार ने मोदीनगर शहर में अपना कार्यालय भी खोल लिया है। वे यह सोच रहे हैं कि वर्तमान विधायक का टिकट वे ही काट सकते हैं। यहीं कारण है कि नेताजी हर काम श्रेय खुद लेने में जुट जाते हैं। पिछले दिनों कूड़ा डंपिंग को लेकर आंदोलन हुआ। जब आंदोलन समाप्त हुआ तो वे मौके पर नहीं थे। लेकिन श्रेय लेने की होड़ में सबसे आगे। इतना ही नहीं दो दिन पहले सभासदों का धरना समाप्त हुआ तो उसका श्रेय लेने के लिए भी एक फोटो के साथ श्रेय लेने के लिए कूद पड़े। जबकि मामला सभासदों- चेयरमैन के बीच का था। बाद में चेयरमैन को कहना पड़ा समझौते में किसी का योगदान नहीं है। अब शहर के लोग पूछ रहे हैं कि क्या झूठा श्रेय लेने से टिकट मिल जायेगा? लेकिन क्या करें। आदत जो पड़ गई है।
आरओबी है या बीरबल की खिचड़ी
गाजियाबाद शहर से विजयनगर को जोड़ने के लिए धोबी घाट रेलवे फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। मौजूदा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री के प्रयास से उनके पहले टर्म में इस आरओबी का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। आरओबी के निर्माण को धीरे-धीरे करीब आठ साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी काम है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। कभी पुल का डिजाइन चेंज हो जाता है तो कभी निर्माण करने वाली एजेंसी के साथ ऐसा कुछ घट जाता है कि काम का समय लगातार बढ़ रहा है। अब तो विजयनगर क्षेत्र के लोगों में यह चर्चा होने लगी है कि पुल नहीं बीरबल की खिचड़ी बन रही है। जिसका जिन्न चुनाव से पहले फिर निकलेगा और राजनैतिक से रोटी सैंकने के बाद चिराग में फिर चला जाएगा।
… कोई यहां गिरा, कोई वहां
बुधवार को शासन ने एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक समय तक जमे अफसरों की बंपर तबादला लिस्ट जारी हुई। इस लिस्ट में अधिकांश उन पीसीएस के तबादले हुए जो तहसीलदार से एसडीएम बनें है। भाई लोगों ने मनचाही तैनाती के लिए पूरी फिल्डिंग लगाई हुई थी। कुछ फिल्डर कैच पकड़ने एवं बॉल रोकने में पूरी तरह से विफल हो गये, तो कुछ ऐसे भी रहे जिन्होंने खुफिया विभाग की जांच के चलते अपने पैर पीछे खींच लिए। बता दें कि नियुक्ति विभाग के सेटिंग वाले कुछ अफसरों की बाबा ने जांच शुरू करवा दी है। बाबा के इस कदम से नियुक्ति विभाग में तैनात बाबुओं के साथ ही नीचे के अफसरों की सांस फूली हुई है कि पता नहीं कब किसके ऊपर गाज गिर जाये। इस स्थिति में जिनके तबादले हुए उनमें से अधिकांश को मनचाही पोस्टिंग नहीं मिल सकी। हालांकि कुछ विधायकों ने जुगाड़ कर मनचाहे अफसरों को अपने क्षेत्र में तैनात करवा लिया।