अपने गुरू का भी जवाब नहीं वे कब और क्या कर जायें, कब क्या कह दें कुछ कहा नहीं जा सकता। गुरू अर्थात नवजोत सिंह सिद्धू की चौंकाने की आदत है। कभी वे भाजपा को चौंकाते हैं तो कभी कैप्टन को। इस बार चौंकने की बारी कांग्रेस हाईकमान की थी।
सुपर सीएम न बन पाने से आहत गुरू ने आलाकमान को ही बोल्ड कर दिया। कैप्टन सरकार को विदा करने के बाद उन्होंने खुद भी प्रदेश की प्रधानी से किनारा कर लिया। अब कांग्रेस नेतृत्व कैप्टन से भी बात करे तो किस मुंह से। गुरू के दिल में क्या है, वे कब क्या करेंगे इसका अंदाजा भी कांग्रेस के रणनीतिकार नहीं लगा पा रहे हैं। धाकड़ बल्लेबाज गुरू ने छक्का लगाने के बजाय इस बार गेंदबाजी की।
उनकी गुगली को कोई समझ भी नहीं सका। उधर गुरू के एक्शन से कैप्टन तो बल्ले बल्ले हो रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने अपने सभी तुरुप के पत्ते मैदान में उतार दिये हैं कि गुरू के इस दाव का क्या तोड़ हो। यहीं कारण है कि उनका इस्तीफा भी अब तक स्वीकार नहीं किया गया। गुरू की गुगली में फंसा कांग्रेस नेतृत्व अब समझ नहीं पा रहा है कि क्या करें। गुरू के बाद उनके करीबी भी पदों एवं सरकार से किनारा कर रहे हैं। बेचारे चन्नी जो गुरू के सहारे आगे बढ़ रहे थे को एक सप्ताह में ही गुरू ने हाथ छिटक कर दूर कर दिया। गुरू ऐसे व्यक्ति है जो भाजपा में थे तो उसके लिए सिरदर्द एवं जब से कांग्रेस में आये तो पंजाब से कांग्रेस को रूखसत करने की भूमिका ही तैयार कर दी। जय हो गुरू की