प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही एक तरह से चुनावी शंखनाद कर दिया। वह भी 2017 में हारी हुई सीट से। इसके निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं। भाजपा ने इस बार पहला फोकस उन सीटों पर किया है जहां पर 2017 में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। धौलाना सीट पर पार्टी के चार बार के सांसद को हार मिली थी। बावजूद इसके यहां दावेदारों की भी पूरी भीड़ है। हापुड़ जिले की धौलाना विधानसभा, व्यापारियों का शहर पिलखुवा एवं वह भी गाजियाबाद जिले की सीमा पर स्थित। इसका सीधा अर्थ है योगी दोनों जिलों को ही संदेश देना चाहते थे। धौलाना विधानसभा साठा चौरासी जो राजपूतों का गढ़ रहा है में जनसभा करने आये तो ठाकुरों के साथ ही सभी जाति- बिरादरी के लोग भारी बरसात की परवाह न कर भी जुटे।
इसमें चाहे दावेदारों के प्रयास हो, योगी का जादू। भीड़ ने तो भाजपा एवं बाबा को गदगद कर ही दिया। मुख्यमंत्री के भाषण में धौलाना की हार की टीस भी नजर आई। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को जिताया होता तो विकास और अधिक होता। इस प्रकार उन्होंने संदेश भी देने का प्रयास किया। जिस प्रकार लोगों में उत्साह था उसे देखकर लगता है धौलाना में योगी की मेहनत बेकार नहीं जायेगी। इसका असर आसपास के क्षेत्रों में भी होगा। हालांकि भीड़ जुटाने में आसपास के क्षेत्रों की भूमिका भी कम नहीं रही। इसका कारण यह है आसपास वालों को भी संदेश दिया गया था। खासकर विधायकों को। एनसीआर क्षेत्र एवं खासकर ग्रामीण क्षेत्र में सभा कर योगी एवं भाजपा ने यह भी जताने का प्रयास किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का भाजपा पर असर नहीं होगा। हालांकि यह आने वाला समय ही बतायेगा।