Dainik Athah

सिर्फ भाषणों से नहीं होगी संस्कृति, संस्कृत और गोरक्षा: सीएम योगी

– ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि सभा
– इनकी रक्षा के लिए आगे आएं धार्मिक संस्थाएं : आदित्यनाथ
– हर भारतीय को भी इस बाबत लेना होगा संकल्प

अथाह संवाददाता
गोरखपुर। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सभी धार्मिक संस्थाओं से आह्वान किया है कि वे गोरक्षा, संस्कृत व संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आएं। इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने भारत और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए हर भारतीय को तैयार रहने का भी संदेश दिया।
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सातवीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतर्गत गुरुवार को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हर धार्मिक पीठ संस्कृत विद्यालय खोले। सरकार इसमें हर संभव सहयोग करेगी। संस्कृत और संस्कृति को प्रोत्साहन हमारे आश्रमों को देना होगा। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए योग्यता के आधार पर शिक्षकों का चयन करना होगा। अयोग्य व्यक्ति संस्था को नष्ट कर देगा। ऐसे में योग्य को तराशने की जिम्मेदारी धमार्चार्यों व आश्रमों को लेनी होगी। इससे संस्कृत, संस्कृति की रक्षा के साथ गोरक्षा भी होगी।


मुख्यमंत्री ने बताया कि गोरक्षा के लिए सरकार तीन व्यवस्थाओं पर कार्य कर रही है। पहला निराश्रित गोवंश के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें वर्तमान में छह लाख गोवंश संरक्षित हैं। दूसरा सहभागिता योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति आश्रय स्थलों से चार गोवंश लेकर उन्हें पालता है तो प्रति गोवंश के लिए सरकार उसे प्रतिमाह 900 रुपये देती है। जबकि गाय का दूध व अन्य सभी उत्पाद उसी व्यक्ति के हिस्से में आता है। तीसरी व्यवस्था कुपोषित महिलाओं व बच्चों के लिए की गई है। इसमें भी संबंधित परिवार को एक गाय व उसके पालन के लिए प्रतिमाह 900 रुपये दिए जा रहे हैं।
सीएम ने इस बात का उल्लेख करते हुए कहा कि एक भी धार्मिक संस्था ने सरकार से गाय नहीं ली है। हमें यह समझना होगा कि धर्म की रक्षा तभी होगी जब हम उसके मूल और मूल्यों को जानेंगे। गोरक्षा भाषणों से नहीं बल्कि श्रद्धा और व्यवस्था से जोड़ने से होगी।


– गोरखनाथ मंदिर में गोबर गैस की ऊर्जा से पकता है प्रसाद
गोरक्षा के क्षेत्र में गोरक्षपीठ के योगदान को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद गाय के गोबर से मिली ऊर्जा से पकता है। यहां गोबर गैस के ईंधन का प्रयोग किया जाता है। खेतों में उतपन्न अन्न भी गोबर की खाद से प्राप्त होता है।


– राष्ट्रीयता की भावना को जीवन पर्यंत आगे बढ़ाते रहे महंत दिग्विजयनाथ
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए सीएम योगी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंतश्री जीवन पर्यंत राष्ट्रीयता की भावना को आगे बढ़ाते रहे। गोरखपुर में उनका आगमन दैवयोग से हुआ था। वह इतिहास प्रसिद्ध उस राणा राजवंश से थे जिसने राष्ट्र रक्षा में किसी भी प्रकार का बलिदान देने से संकोच नहीं किया। वंशानुगत संस्कार को वह आजीवन अपने आचरण में परिलक्षित करते रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षक के प्रति श्रद्धा और सम्मान में, जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था, उन्होंने 1932 में किराए के कमरे में महाराणा प्रताप स्कूल की शुरूआत की जो महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बनी। वर्तमान में इसके अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य व सेवा के क्षेत्र में संचालित करीब चार दर्जन संस्थाएं राष्ट्रीयता की उनके अभिनव यज्ञ की साक्षी हैं। हर धार्मिक पीठ को धर्म, अध्यात्म की शिक्षा के साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के लिए क्या करना चाहिए, महंत दिग्विजयनाथ ने इसके मानक तय किए। उनके इस अभियान में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने अहर्निश अभिवृद्धि की। सीएम ने कहा कि साम्प्रदायिक व जातीय विभेद से परे समग्र समाज को एकजुट करने के लिए वह आजीवन मूल्यों के प्रति समर्पित रहे। छुआछूत और अस्पृश्यता के खिलाफ निरन्तर आवाज उठाते रहे।


– नया भारत बनने को अग्रसर है देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश नया भारत बनने को अग्रसर है। यह भारत नित नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। ऐसे में हर नागरिक को भी यह आत्मावलोकन करना चाहिए कि देश के प्रति उसके क्या दायित्व हैं। सदियों से दबी भावनाओं को सम्मान मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की रक्षा तभी होगी जब सब मिलकर आगे बढ़ेंगे, तभी भारत ताकतवर भारत बनेगा। विभाजित स्वर से भारत विरोधियों की चपेट में आएगा। इस बात को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ अच्छे से समझते थे। इसी कारण उनका जीवन सामाजिक समरसता व एकजुटता को समर्पित रहा। हमें भी समय रहते समाज की विसंगतियों को दूर करना होगा।


– संस्कृत और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्ध रही है गोरक्षपीठ : स्वामी वासुदेवानंद
कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद ने कहा कि भारतीयता की प्रतिष्ठा दो कारणों से रही है, संस्कृत और संस्कृति। गोरक्षपीठ की संस्कृत, संस्कृति और संस्कार के लिए प्रतिबद्ध परंपरा है। योगी आदित्यनाथ उसी परंपरा के संवाहक हैं। उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


– योगी में हैं महंत दिग्विजयनाथ जैसे गुण : स्वामी वासुदेवाचार्य
अयोध्या से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ महाराणा प्रताप के वंश के थे और राष्ट्रीयता और किसी के आगे न झुकने का जैसा गुण उनमें था, आज वही योगी आदित्यनाथ में भी है। देश के स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने अयोध्या में श्रीराम लला को विराजमान किया। आज उनके सुयोग्य शिष्य योगी आदित्यनाथ अयोध्या के समग्र विकास के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं। स्वामी वासुदेवाचार्य ने सीएम योगी की तुलना प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य से की और उन्हें आज के दौर का विक्रमादित्य बताया। रोहतक स्थित बाबा मस्तनाथ पीठ से आए अलवर, राजस्थान से सांसद महंत बालकनाथ ने कहा कि जिस प्रकार हिमालय देश की सीमाओं को रक्षा करता है उसी प्रकार गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने देश के अंदर राष्ट्रीयता, धर्म व संस्कृति की रक्षा की। अयोध्या के स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पण गोरक्षपीठ की परंपरा है। अपने गुरुजनों की इसी परंपरा को योगी आदित्यनाथ कुशलता व सफलता से आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि जो गुरुजनों के पथ का अनुसरण करता है उसकी चर्चा युग-युगांतर तक बनी रहती है। श्रद्धांजलि समारोह को प्रयागराज के स्वामी गोपाल दासजी, जूनागढ़ गुजरात से आए महंत शेरनाथ, जूना अखाड़ा गाजियाबाद के महंत श्रीनारायण गिरि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर स्वामी राघवाचार्य, दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेशदास, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो यूपी सिंह, गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल अतुल वाजपेयी आदि भी उपस्थित रहे।

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