– प्रदेश में तेज गति से दौड़ेगी तबादला एक्सप्रेस, होंगे बंपर तबादले
– हर जिले में आधा दर्जन से अधिक अफसरों को है अपने नाम का इंतजार
– मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद फैल होने लगे अफसरों के जुगाड़
– हालांकि पहली सूची में चल गया कुछ का जुगाड़ तंत्र
अशोक ओझा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश की राजधानी में तबादला एक्सप्रेस तैयार है। बस इंतजार है तो सवारियों के बैठने के साथ ही गार्ड (मुख्यमंत्री) की हरी झंडी का। इसका सीधा अर्थ है कि चालू माह सितंबर में प्रदेश में बंपर तबादले होने हैं।
बता दें कि प्रदेश के गाजियाबाद समेत सभी जिलों में ऐसे अधिकारियों की लंबी सूची है जो एक ही जिले में तीन वर्ष अथवा चार वर्ष से अधिक समय से तैनात है। इसकी शुरूआत शनिवार रात हुई। लेकिन धीमी गति से। इसका कारण यह है कि सूची बनाने का काम तेजी से चल रहा है। जिलों में लंबे समय से तैनात पीसीएस, पीपीएस अधिकारियों समेत तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं पुलिस इंस्पेक्टर भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो इस सूची में सबसे अधिक संख्या पीसीएस अधिकारियों की होगी। पीपीएस के तबादले तो बीच बीच में हुए हैं। लेकिन पीसीएस अधिकारियों के तबादले पीपीएस के मुकाबले कम हुए हैं।
इस सूची में तहसीलदार से एसडीएम बनने वाले अधिकारियों की सूची भी लंबी है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन तहसीलदारों को पदोन्नति तो दे दी गई। लेकिन उन्हें तैनाती भी उसी जिले में दी गई। अब इन सभी के तबादले होने हैं। यदि उदाहरण के रूप में गाजियाबाद जिले को ही लें तो इस जिले में ही आधा दर्जन पीसीएस अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें तबादला सूची का इंतजार है। इनमें एक एडीएम, पांच एसडीएम स्तर के अधिकारी है। पांच एसडीएम में दो तो जिले की तहसीलों को संभाल रहे हैं। तीन एक्स्ट्रा मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर रहे हैं। जिले में दो अधिकारियों के तबादले शुक्रवार की रात को हुए हैं। इसी सूची में से सिटी मजिस्ट्रेट को गाजियाबाद में ही एडीएम सिटी बना दिया गया।
गाजियाबाद तो उदाहरण है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में यहीं स्थिति है जहां लंबे समय से अधिकारी तैनात है। ठीक ऐसे ही अनेक पीपीएस अधिकारी एवं इनके साथ ही थानों में तैनात पुलिस निरीक्षक, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार भी है।
– जुगाड़ तंत्र नहीं कर रहा नियुक्ति विभाग में काम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवरों के चलते जुगाड़ तंत्र भी नियुक्ति में फैल हो गया है। मुख्यमंत्री ने विभाग में तैनात दो अधिकारियों की जांच विजिलेंस से करवाने के आदेश दिये हैं। इसके बाद कोई अधिकारी जुगाड़ के संबंध में सोच भी नहीं रहे।
– अच्छी पोस्टिंग चाहने वालों को मिलती है दूर
राजधानी स्थित लोक भवन के साथ ही बापू भवन समेत सभी राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यदि किसी ने जुगाड़ लगा भी लिया तो यह पता नहीं प्रदेश के मुखिया कब पूरी सूची को ही फैंट दें जिसके बाद जुगाड़ वाले कहां जाकर गिरेंगे उन्हें भी नहीं पता होगा। अब तो बस सूची को सूची का इंतजार है। सूची के इंतजार में अनेक अफसरों का तो काम में ही मन नहीं लग रहा है। वे वर्तमान तैनाती के काम को भी अब बोझ समझने लगे हैं।