उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है। इसके साथ ही सपा एवं बसपा ने भाजपा के खिलाफ ब्राह्मण कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। दोनों ही दल अपने ब्राह्मण नेताओं को आगे कर ब्राह्मणों को अपनी तरफ करना चाहते हैं। पूर्वांचल में ब्राह्मण- ठाकुर की लड़ाई पुरानी है। इसी के चलते दोनों ही दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ब्राह्मण कार्ड खेलने को आतुर है। एक सन्यासी हालांकि जाति के बंधन से मुक्त रहते हैं। लेकिन बाबा को ठाकुर बताते हुए साथ ही विकास दूबे जैसे अपराधी समेत अन्य ब्राह्मण अपराधियों के मारे जाने को भी ये दल मुद्दा बनाना चाहते हैं।
अपराधी तो अपराधी होता है। जब अपराधी किसी को मारता है तो वह जाति को नहीं देखता। विकास दूबे ने सीओ देवेंद्र मिश्रा की हत्या की थी। क्या शहीद मिश्रा ब्राह्मण नहीं थे। दोनों दलों का भाजपा के खिलाफ ब्राह्मण कार्ड पूर्वांचल में चुनाव में क्या असर डालेगा यह तो अभी से कहना कठिन है। लेकिन यदि पश्चिम की बात करें तो यहां तो ब्राह्मणों का किसी से कोई बैर नहीं है। इसके साथ ही भाजपा ने इस कार्ड की काट के लिए अपने प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सेवा निवृत्त आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को मैदान में उतारा है। वे जहां भी जा रहे हैं ब्राह्मणों के साथ ही भूमिहारों को साधने का काम कर रहे हैं।
हालांकि उनकी निगाह हर वर्ग पर है। गाजियाबाद में उनका कार्यक्रम व्यापारियों ने निर्धारित किया। हालांकि बाद में ब्राह्मणों ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया। त्यागी भी इसमें पीछे नहीं है। सपा- बसपा की काट एके के साथ ही प्रदेश में भाजपा के अन्य ब्राह्मण नेता भी करेंगे। लेकिन चुनाव आते ही समाज को जातियों में बांटना कितना उचित है यह सवाल भी दोनों दलों से किया जाना चाहिये।