Dainik Athah

जन प्रतिनिधियों की नाकामी से जनता पर बढ़ा बोझ!

गाजियाबाद नगर निगम अब गृह कर के रूप में 15 फीसद कर अधिक वसूलेगा। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा एवं उसके जनप्रतिनिधि इस बोझ को कम करवाने में सफल नहीं हो सके। सही मानें तो आम जनता भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। जो जनता कर बढ़ने का रोना रो रही है वह उस समय आंख बंद कर सो रही थी जब उसे गृह कर बढ़ने का विरोध करना चाहिये था। फरवरी माह में 15 फीसद कर बढ़ने के संबंध में नगर निगम ने आपत्तियां मांगी थी। उस समय 16 लाख मतदाताओं वाले नगर निगम क्षेत्र में से मात्र 267 ने आपत्ति दर्ज करवाई। यहीं आपत्ति यदि 50 हजार तक पहुंच जाती तो शायद एक साथ इतना बोझ नहीं बढ़ता। इसके साथ ही यदि भाजपाई जनप्रतिनिधियों की बात करें जिसमें प्रदेश सरकार के मंत्री भी शामिल है इन्होंने नगर विकास मंत्री से मिलने की खानापूर्ति तब की जब बात से करीब करीब निकल चुकी थी। लेकिन मंत्री जी समेत तमाम जनप्रतिनिधि सत्ता में होने के बावजूद जनता को राहत नहीं दिला सके। भाजपा के ही एक पार्षद की मानें तो उन्होंने आपत्ति के समय क्षेत्र के लोगों से कहा था कि आपत्ति दर्ज करवाओ। तब लोगों का कहना था आपको जिताया किस लिए है।

जीतने वाले ही जनता की आवाज उठायें। गृह कर की यह वृद्धि कहीं कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में असर न डाल दें। हालांकि भाजपा के ही एक पार्षद ने कटाक्ष के रूप में महापौर एवं नगर आयुक्त का गृह कर बढ़ने पर प्रतीक चिन्ह दिया जाना इसी दल के कुछ पार्षदों को नागवार गुजरा। लेकिन हिम्मत तो दिखाई। कर बढ़ने के लिए जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम जनता भी जिम्मेदार है इसे झुठलाया नहीं जा सकता।

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