माधवन ने कहा कि चीन के जेएफ-17 लड़ाकू विमान की तुलना में तेजस मार्क-1ए के प्रदर्शन का स्तर बहुत बेहतर है। जेएफ-17 की तुलना में तेजस की तकनीक तो अच्छी है ही इसमें बेहतर इंजन रडार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी लगे हैं।
अथाह ब्यूरो दिल्ली।
स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को खरीदने में कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई है। अगले कुछ वर्षों में विदेश से पहला ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। यह कहना है तेजस विमान का निर्माण करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर. माधवन की। प्रेट्र के साथ साक्षात्कार ने माधवन ने कहा कि भारतीय वायुसेना को 48,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत मार्च, 2024 से तेजस विमानों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। वायुसेना ने 83 तेजस विमान खरीदे हैं।
उन्होंने कहा कि कुल विमानों की आपूर्ति तक वायुसेना को हर साल 16 विमान दिए जाएंगे। भारतीय वायुसेना और एचएएल के बीच पांच फरवरी को एयरो इंडिया एक्सो के दौरान इस सौदे पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए जाएंगे और इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद रहेंगे।
एचएएल के चेयरमैन ने कहा, चीन के जेएफ-17 की तुलना में बेहतर हैं तेजस मार्क-1ए विमान
माधवन ने कहा कि चीन के जेएफ-17 लड़ाकू विमान की तुलना में तेजस मार्क-1ए के प्रदर्शन का स्तर बहुत बेहतर है। जेएफ-17 की तुलना में तेजस की तकनीक तो अच्छी है ही इसमें बेहतर इंजन, रडार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी लगे हैं। तेजस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें हवा से हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है, जबकि चीनी विमान में यह सुविधा नहीं है। माधवन ने कहा कि शुरू में वायुसेना को चार विमान की आपूर्ति की जाएगी। उसके अगले साल यानी 2025 से हर साल 16 विमान दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि एलसीए प्लांट का दूसरा चरण भी पूरा हो गया है। हर साल 16 से ज्यादा विमानों का निर्माण करने की योजना है, ताकि विदेश से ऑर्डर मिलने पर उसे तय समय के भीतर पूरा किया जा सके। इस महीने की 13 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समित की बैठक में भारतीय वायुसेना के लिए एचएएल से 73 तेजस मार्क-1ए विमान और 10 एलसीए तेजस मार्क-1 प्रशिक्षण विमान खरीदने को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक लड़ाकू विमान की कीमत 309 करोड़ और प्रशिक्षण विमान की कीमत 280 करोड़ रुपये पड़ेगी।