Dainik Athah

भारत के लिए विस्मयकारी रहेगा सन 2026

वैश्विक षड्यंत्र के अनुसार भारत पर युद्ध थौंपने के होंगे प्रयास

सन 2026 की कुंडली के अनुसार भारत के शक्तियों में होगी वृद्धि और सीमा विस्तार

अराजकतावादी ताकतें और विपक्ष षड्यंत्र के कोई भी अवसर नहीं छोड़ेंगे

शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र

गाजियाबाद के आचार्य पंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसार नव वर्ष 2026 भारत का घरेलू ,विदेशी, विपक्षी षड़यन्त्रों  और संघर्षों के बाद भी  सफलता के चरमोत्कर्ष पर विकास होता रहेगा।नव वर्ष प्रवेश कुंडली के अनुसार लग्नेश बुध चतुर्थ भाव में सूर्य मंगल शुक्र और बुध के साथ चतुर्ग्रही  योग बना रहे हैं।चतुर्थ भाव पर गुरु और शनि की दृष्टि इस भाव को और शुभ बना रही है। कुंडली के अनुसार चौथा भाव सुख, संपन्नता ,विकास का होता है जो इस वर्ष की कुंडली में बहुत ही उत्तम योग बने हुए हैं।

गुरु और बुध का चतुर्थ दशम स्थान में परस्पर परिवर्तन योग सत्ता पक्ष के लिए बहुत ही उत्तम है। जो शासक के लिए उच्च दृढ़ इच्छा शक्ति को प्रबल बना रहा है।लाभ भाव अर्थात 11 स्थान का स्वामी चंद्रमा भाग्य स्थान में उच्च का है और गुरु भी चलित भाव में लाभ स्थान में कर्क राशि में उच्च के हो गए हैं। उपरोक्त ग्रह योग देश के विकास के लिए बहुत ही उत्तम दिख रहा है। छठे स्थान में राहु मित्र राशि में 12 वे स्थान केतु षड्यंत्र पर लगाम लगाने की प्रवृत्ति का विकास करेंगे। बड़े-बड़े राष्ट्र विरोधी चेहरे बेनकाब हो सकते हैं जो राष्ट्र के उन्नति में दीमक का काम कर रहे हैं।

वैश्विक षड्यंत्रों के चलते भारत पर पड़ोसी देशों के साथ युद्ध थौंपने के भी प्रयास किए जाएंगे। भारत में अराजकवादी ताकतें सरकार  और देश को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। हिंसा उपद्रव,आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देंगे। लेकिन सरकार उनको उन्ही की भाषा में उत्तर देगी।आर्थिक, सामरिक ,शैक्षिक, वैदेशिक क्षेत्र में उत्तम प्रगति के योग हैं। किंतु भारत के विकास से ईर्ष्या करने वाले और भारत की उन्नति को न देखने वाले देश और सत्ता के प्रति षड्यंत्र फैलाने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन उनकी अराजकता फैलाने वाले षड्यंत्र का शीघ्र ही समूल नाश कर दी जाएगा। भारत विस्मयकारी उन्नति करेगा।

आकाश में ऊंची छलांग लगा सकता है भारत

लग्नेश और दशमेश बुध सूर्य मंगल शुक्र की युति के साथ चौथे भाव में है अर्थात अपने से सातवें और 10 वें भाव में, अंतरिक्ष में विशेष उपलब्धि की ओर इंगित कर रहा है ।सैटेलाइट, उपग्रह का प्रक्षेपण और आकाश में भारत की शक्तियों का स्तर बढ़ेगा  अथवा कोई आकाशीय घटना घटेगी।खेती-बाड़ी ,फसलों के लिए यह वर्ष उत्तम रहेगा। इसके साथ-साथ प्राकृतिक आपदाएं वर्षा, भूकंप, भूस्खलन ,चक्रवात निरंतर आते रहेंगे। क्योंकि राहु और केतु छठे और बारहवें  भाव में उत्तम फल देते हैं। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं को भी बढ़ाते हैं। जन-धन हानि ,यान ,वाहन दुर्घटनाएं बढ़ेंगी ।क्योंकि मंगल अष्टमेश व तृतीयेश होकर सूर्य के साथ बैठे हैं।मंगल सूर्य का पराक्रम भाव में प्रभाव भारत की सीमाओं का विस्तार करा सकता है। कुल मिलाकर यह वर्ष राष्ट्रीय उन्नति का है ,सत्ता पक्ष के धैर्य व सहनशक्ति का भी परीक्षा लेने वाला है और आम जनता के लिए भी शुभदायक है।पंडित शिवकुमार शर्मा,  संस्थापक अध्यक्ष -शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद.

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