गाजियाबाद।पंडित शिवकुमार शर्मा ने बताया कि अधिकतर यह माना जाता है कि 25 दिसंबर बड़ा दिन होता है। इसके लिए खगोलीय कारण यह है कि 21 अथवा 22 दिसंबर को सायन गणना के अनुसार सूर्य मकर संक्रांति में आते हैं।वैसे तो चंद्रगणना से सूर्य 14 जनवरी को मकर संक्रांति में आते हैं।पंचांगों में दो गणनाएं प्रचलित है।एक सायन गणना और दूसरी निरयण गणना।अधिकतर पंचांगों में निरयण गणना ही अधिकतर प्रचलित है जिसके कारण उत्सव आदि मनाए जाते हैं।किंतु सर्वाधिक शुद्ध सायन गणना है इन घटनाओं का आधार पृथ्वी की सूर्य से दूरी भूकेंद्रीय और भूपृष्ठीय है। इसमें लगभग 23 डिग्री का गणनाओं में अंतर आता है।
इसलिए सायन गणना के अनुसार 14 जनवरी से 23 दिन पहले 21 या 22 दिसंबर को ही मकर संक्रांति में सूर्य प्रवेश करता है । और दिन की अवधि बढ़नी शुरु हो जाती है।निरयण पद्धति में भूकेंद्रीय व्यवस्था ली गई है जबकि सायन पद्धति में भू पृष्ठीय। इसमें धरती की सतह से जो सूर्य की दूरी है उसका अंतर धरती के केन्द्र से जो दूरी है उसका अंतर 23 अंश का है।इसलिए सूर्य उत्तरायण में 22 दिसंबर से ही जाता है। इस वर्ष से 25 दिसंबर को बड़ा दिन मानने की गलती मत करना।
पंचांगों के अनुसार इस दिन सबसे छोटा दिन होगा। इस दिन सूर्य प्रातःकाल 7:16 बजे उदय होगा और सूर्यास्त 17:26 बजे होगा अर्थात दिन की अवधि 10 घंटे 10 मिनट की रहेगी।22 दिसंबर से 24 दिसंबर तक दिन की अवधि 10 घंटे 11 मिनट है। 26 दिसंबर से 29 दिसंबर तक भी दिन की अवधि 10 घंटे 11 मिनट रहेगी।इसके पश्चात एक एक मिनट करके दिन बड़ा होता जाएगा।परिणाम स्वरूप हमें धारणा बदलनी होगी कि 25 दिसंबर बड़ा दिन होता है। 25 दिसंबर को बड़ा दिन कहने के पीछे इसके पीछे एक धारणा है कि क्रिश्चियन लोग बड़ा दिन इसलिए कहते हैं कि यीशु मसीह का जन्मदिन है।यह धारणा एक विशेष संप्रदाय की हो सकती है। लेकिन भौगोलिक नियमों के अनुसार यह सार्वभौमिक सत्य नहीं है।पंडित शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कन्सलटेंट
…पंडित शिवकुमार शर्मा -शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र
