Dainik Athah

जीडीए उपाध्यक्ष के समक्ष एनबीसीसी के पदाधिकारियों के द्वारा किया गया प्रस्तुतिकरण

तुलसी निकेतन योजना के भवनों के री-डवलपमेंट प्लान को लेकर एनबीसीसी के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक

भवनों के री डवलपमेंट योजना का उद्देश्य किसी तरह की आय हासिल करना नहीं : अतुल वत्स

आगामी सप्ताह में एनबीसीसी के साथ प्राधिकरण का हो सकता है एमओयू साइन
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अतुल वत्स की अध्यक्षता में शुक्रवार को तुलसी निकेतन योजना के भवनों के ‘री-डवलपमेंट योजना’ की दिशा में एनबीसीसी के पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई। बैठक के दौरान एनबीसीसी के पदाधिकारियों के द्वारा योजना के री डवलपमेंट प्लान का प्रस्तुतिकरण किया गया।
एनबीसीसी के अधिकारियों के द्वारा अवगत कराया गया कि योजना में री डवलपमेंट का कार्य दो चरणों में किया जाएगा। मुख्यत: प्रथम चरण के दौरान प्री फिजिबिलिटि स्टडी की जाएगी। अगले आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। द्वितीय चरण में संपूर्ण डीपीआर पेश करते हुए कार्य को आगे बढ़ाया जायेगा। प्री फिजिबिलिटि स्टडी के रिपोर्ट के बाद यदि एनबीसीसी से एमओयू के शर्तो में यदि किसी तरह के बदलाव की संभावना होती है तो संशोधन करते हुए कार्य को आगे बढाया जाएगा।
बैठक के दौरान प्राधिकरण उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने कहा कि तुलसी निकेतन योजना के भवनों के री डवलपमेंट योजना का उद्देश्य किसी तरह की आय हासिल करना नहीं हैै, ना ही प्राधिकरण दूर तक इस पक्ष में है कि योजना के भवनों में रह रहे किसी परिवार को बेघर किया जाये। उन्होंने कहा यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन आपकी योजना का लाभ अंतिम पायदान पर उपस्थित लोगों तक पहुँचनी चाहिए, पर आधारित है। उन्होंने कहा यह योजना 1990 में बसाई गई, इस कॉलोनी में 2292 फ्लैट और 60 दुकानें हैं, जहां करीब 20 हजार लोग रहते हैं।
अतुल वत्स ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा कराए गए सर्वे में इन मकानों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया गया है। अब जीडीए पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर निजी विकासकतार्ओं के साथ मिलकर 16 एकड़ क्षेत्र में नई बहुमंजिला इमारतें बना कर लोगों रहने लायक आवास मुहैया करायेगा। इस योजना में 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी मकान शामिल थे, जिन्हें अब आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनर्विकसित किया जाएगा।

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