शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद पंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष 16 दिन के लिए होता है। गणेश उत्सव और नवरात्री के मध्य आने वाला यह पितृपक्ष कभी अशुभ नही होता है। आप निःसंदेह कोई भी नया कार्य,नया सामान, नया मकान-जमीन आदि खरीद सकते है। किसी भी पुराण या शास्त्रों में कहीं पर भी ऐसा उल्लेख नही है कि आप नया कार्य नही कर सकते। यह एक लोकाचार का हिस्सा हो सकता है, लेकिन शास्त्रीय विधान नहीं है, बल्कि नया कार्य करने पर हमारे पितर हमें आशीर्वाद देते है, हमारे लिए मंगलकामना करते हैं।*पितृपक्ष में सूतक और पातक संबंधी सभी कार्य किए जा सकते हैं*कई दिन से बहुत से व्यक्तियों के फोन आ रहे हैं।
प्रश्न हैं-
1. बच्चे का जन्म हुआ है क्या पितृपक्ष में हवन, नामकरण हो सकता है?
2. किसी की मृत्यु हुई है क्या उसकी तेरहवीं अथवा आरष्टी हो सकती है?जब किसी बच्चे का जन्म होता है उस अशुद्ध काल को सूतक कहते हैं और जब घर में किसी की मृत्यु होती है उस अशुद्ध काल को पातक कहते हैं।
सूतक और पातक में अथवा किसी भी शुभ या अशुभ कार्यों में पितृपक्ष का कोई विचार नहीं है। किसी भी शास्त्र पुराणों में ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है। इसलिए भ्रमित न हो समयानुसार सब आवश्यक कार्य करते रहें।

पं. शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद ।
