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23 अगस्त को पद्मयोग में आएगी शनि अमावस्या , जानिए पितरों और शनि को प्रसन्न करने के उपाय

शिव शंकर ज्योतिष  एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबादपंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसारशनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं ‌।शनि अमावस्या के दिन सूर्य और उसके पुत्र शनि का मिलन होता है। सौर मास के अनुसार अमावस्या को सूर्य अपनी पूर्ण कांति से चमकते हैं।शनिवार के दिन अमावस्या का दुर्लभ योग वर्ष में एक दो बार ही आता है। किसी वर्ष तो यह आता भी नहीं है। शनिवार को मघा नक्षत्र होने पर पद्म योग बनता है।मघा नक्षत्र पितृ नक्षत्र होता है। शनिवार और अमावस्या का पुण्य योग पितरों के तर्पण के लिए बहुत उत्तम बताया गया है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके गंगाजल या सामान्य जल में शहद, काले तिल, जौ डालकर पितरों के निमित्त दक्षिण दिशा की ओर जल अर्पण करें।  पितरों को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करें। पितृ दोष शांति के लिए इस दिन पितृ गायत्री जाप ,पितृ यज्ञ, तर्पण आदि भी करना चाहिए।

मघा नक्षत्र से युक्त शनि अमावस्या के इस दुर्लभ योग में शनि को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। जिनका प्रभाव अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुना मिलता है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के अनुसार शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही है और शनि अपनी इस अवस्था में किसी व्यक्ति को आर्थिक, सामाजिक ,शारीरिक अथवा राजनीतिक कष्ट पहुंचा रहे हों, वैसे शनिदेव किसी को अनावश्यक कष्ट नहीं पहुंचाते  हैं ।वह तो व्यक्ति का कर्म फल ही होता है जिसके कारण वह अपने कर्मों का फल भोगता  है। क्योंकि शनि सब ग्रहों  में निष्पक्ष न्याय कारी माने  जाते  हैं। इसलिए इस दशा में व्यक्तियों को अपने अच्छे अथवा बुरे प्रारब्ध का भुगतान तो करना ही पड़ता है। शनि की महादशा में कई बार देखा  गया है कि लोग फर्श से अर्श पर भी पहुंच जाते हैं। लेकिन कइयों को अर्श से फर्श में आते हुए देर नहीं लगती है।शनि के अनिष्टता से बचने के लिए शनि अमावस्या को हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।

1. प्रातः काल सूर्य उदय होने से पहले पीपल के वृक्ष के नीचे जल में दूध ,काले तिल और मीठा डालकर  जल चढ़ाएं और *ओम् शं शनैश्चराय नमः* का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें।

2. शनि अमावस्या से आरंभ करके 43 दिन तक सूर्यास्त के पश्चात पीपल के नीचे दीपक जलाएं और निरंतर सात परिक्रमा करें। इससे शनि की अनिष्टता दूर होकर  लाभ के अवसर मिलते हैं। स्वास्थ्य ठीक रहता है और परिवार में प्रेम और स्नेह बना रहता है।

3. प्रातः काल स्नान के जल में  कुछ दाने काले तिल के डालें और स्नान करते हुए शनिदेव का ध्यान करें।  ऐसा हरेक शनिवार करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

4. शनि अमावस्या को एक लोहे की अथवा स्टील की कटोरी में तेल भरकर उसमें बिना गिने सिक्के डालें और परिवार के सभी सदस्य उसमें अपना चेहरा देखें ।चेहरा देखने के बाद उसे किसी पडिया अथवा भिखारी को दान कर दें। इससे शारीरिक कष्ट की निवृत्ति होती है।

5.यदि कोई व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती अथवा महादशा में शारीरिक कष्ट पा रहा है तो शनि अमावस्या को उसके वजन के बराबर तुलादान (सतनजा) दान करें। ऐसा करने से शारीरिक कष्ट का निवारण होने लगता है।,

6. शनि अमावस्या के दिन से शनि स्तोत्र अथवा शनि कवच का नियमित रूप से पूजा के समय पाठ किया करें .। घर से क्लेश, गरीबी और रोग भाग जाएगा ।ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

7. शनि का प्रभाव नाभि क्षेत्र  से लेकर पैरों के घुटनों तक होता है यदि किसी पुरुष अथवा महिला के पैरों में दर्द रहता है अथवा घुटनों में दर्द होता है  तो शनिवार को सात लोहे की  कटोरी में थोड़ा तेल रखें और अपनी एड़ी के नीचे दबाए फिर थोड़ा थोड़ा तेल लेकर  घुटनों से लेकर टखनों  तक धीरे धीरे तेल की मालिश करें और ऐसा 20 मिनट से 30 मिनट करें तत्पश्चात उस कटोरी व बचे हुए तेल को किस  साफ स्थान पर छोड़ दें या किसी को दान कर दें।7. शनि अमावस्या को शनि के तांत्रिक मंत्र  *ओम् प्रां प्रीं प्रौं स:* *शनैश्चराय नमः*  कम से कम 23000 अथवा 92000 जाप कराने से शनि कृत कष्टों से मुक्ति मिलती है।8. शनि अमावस्या को किसी गरीब, मजदूर, श्रमिक अथवा असहाय  व्यक्ति को भोजन कराने व  वस्त्र दान करने से शनि कृत पीड़ा  से मुक्ति मिलती है ‌शनि प्रसन्न होकर  आपके घर में सुख समृद्धि प्रदान करते हैं।पंडित शिवकुमार शर्मा , ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट  ,गाजियाबाद

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